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East Singhbhum : चाकुलिया के जुगीतोपा में हाथियों के गुजरने के लिए साढ़े तीन मीटर गहरा अंडरपास बनेगा

सुवर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना के मुख्य अभियंता ने नहर निर्माण को देखा, जंगली हाथियों के गुजरने के रास्ते पर नहर निर्माण कार्य काफी दिनों से बंद है, उक्त स्थल पर फिलहाल जमीन 2.5 मीटर गहरी है, एक मीटर और गहरी की जायेगी, वन विभाग के अधिकारियों से बात कर अधूरे कार्य को पूरा करने का निर्देश

चाकुलिया. सुवर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना के मुख्य अभियंता रामनिवास प्रसाद बुधवार को चाकुलिया पहुंचे. उन्होंने गोविंदपुर से जुगीतोपा तक नहर निर्माण कार्य का जायजा लिया. जुगीतोपा में जंगली हाथियों के गुजरने के रास्ते पर नहर निर्माण कार्य काफी दिनों से बंद है. उन्होंने विभागीय कनीय अभियंता व सहायक अभियंता से पूछताछ की. यह जानकारी मिली कि अंडरपास बनाने के लिए यहां 2.5 मीटर गहरी जमीन उपलब्ध है, जबकि एक हाथी के गुजरने के लिए कम से कम 3.5 मीटर गहरी जमीन की आवश्यकता होगी. इसपर मुख्य अभियंता ने कहा कि जमीन के नीचे एक मीटर गहरी खुदाई कर अंडरपास बनाया जायेगा. आगे वन भूमि होने के कारण निर्माण पूरा नहीं किया जा सका है. मुख्य अभियंता ने निर्देश दिया कि वन विभाग के अधिकारियों से बात कर अधूरे कार्य को पूरा कर लिया जाये.

मौके पर कार्यपालक अभियंता बसंत कुमार मांझी, नीलम संजीव मिंज, सहायक अभियंता गोविंद राम, कनीय अभियंता पुष्पेंद्र सिंह आदि उपस्थित थे.

नहर में दरारों को प्लास्टर से ढंका, तोड़कर फिर से बनेगी

चाकुलिया में गोविंदपुर से कमारीगोड़ा, कांकड़ीशोल, पुरनापानी होते हुए जुगीतोपा तक नहर का निर्माण प्रकाश एसोसिएट्स ठेका कंपनी कर रही है. आरोप है कि नहर निर्माण में संवेदक ने भारी लापरवाही बरती है. निर्माण के समय से नहर टूट रही है. कई जगह पर दरार को प्लास्टर से ढंक दिया गया है. इस बारे में पूछने पर मुख्य अभियंता रामनिवास प्रसाद ने कहा कि टूटी या दरार वाली नहर को पूरी तरह से तोड़कर बनाया जायेगा. लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी.

भूमिगत नहर निर्माण का विरोध कर रहे रैयत

बताया गया कि जमीन विवाद के कारण फिलहाल कमारीगोड़ा से कांकड़ीशोल तक नहर निर्माण कार्य बंद है. लगभग 1.5 किमी विवादित जमीन में 70 से 75 रैयत हैं. विवाद का मुख्य कारण उक्त स्थान पर भूमिगत नहर निर्माण का प्रस्ताव है. रैयतों का कहना है कि भूमिगत नहर का निर्माण पर उन्हें किसी प्रकार का मुआवजा नहीं मिलेगा. प्रशांत राय, तापस राय, पशुपति बेरा, सुमन दत्ता, हिमांशु बेरा, दिलीप दास, चित्तो मान्ना, अरुण राय, बापी राय, पतित पावन बेरा, दुलाल चन्द्र बेरा, शशांक बेरा आदि रैयतों ने बताया कि खुली नहर बनाने पर ही वे अपनी जमीन देंगे. विभाग यदि जबरन भूमिगत नहर का निर्माण का प्रयास करेगा, तो वे हाइकोर्ट जाने को विवश होंगे.

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