तारापुर. 15 फरवरी 1932 भारतीय आजादी के इतिहास में शहीदों का दिवस है. तारापुर में आजादी के दीवाने ब्रिटिशकालीन थाना भवन पर भारत का राष्ट्रीय झंडा फहराने के लिए जा रहे थे. उन्हें रोकने के लिए तत्कालीन ब्रिटिस कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक प्रशासनिक बल के साथ मौजूद थे. बावजूद मदन गोपाल सिंह के नेतृत्व में गठित धावा दल के सदस्यों को रोकने में प्रशासन नाकामयाब रही और क्रांतिकारी वीरों पर गोलियां चला दी. फिर भी क्रांतिकारी वीर झंडा फहराने में कामयाब रहे थे. पुलिस की गोली में कई लोग शहीद हुए. जिसमें 34 लोगों का शव बरामद किया जा सका था. उसमें 21 लोगों की पहचान नहीं हो पाई तथा मात्र 13 की पहचान हो पायी. अनगिनत लोग जख्मी भी हुए थे. शहीदों में छतहार के विश्वनाथ सिंह, रामचुआ के महिपाल सिंह, असरगंज के शीतल चमार, तारापुर के सुकुल सुनार एवं संता पासी, सतखरिया के झोंटी झा, बिहमा के सिंघेश्वर राजहंस, धनपुरा के बद्री मंडल, लौढिया के बसंत धानुक, पढ़वारा के रामेश्वर मंडल, महेशपुर के गैबी सिंह, कष्टिकरी के अशर्फी मंडल, चोर गांव के चंडी महतो शामिल थे. झंडा फहराने वाले जत्था में सुपौल जमुआ के मदन गोपाल सिंह, त्रिपुरारी सिंह, महेशपुर के महावीर प्रसाद सिंह, पसराहा के परमानंद झा, चनकी के कार्तिक मंडल शामिल थे.
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