Lucknow: प्रदेश के बस्ती जनपद में एक बार फिर शौचालय को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है. कुदरहा विकास खंड के गौरा धुंधा गांव में दो सीट वाले शौचालय के बाद अब रुधौली विकास क्षेत्र के धंसा गांव में एक साथ चार टॉयलेट सीट लगा दी गईं. बिना दरवाजे वाले इस सामुदायिक शौचालय का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद जहां विभाग की किरकिरी हो रही है, वहीं आनन-फानन में इसकी सीट उखड़वा ली गई. अब मामले में सफाई देने के साथ जांच की बात कही जा रही है.
विकास खंड रुधौली की ग्राम पंचायत धंसा में लगभग सात लाख की लागत से इस सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया है, जिसमें ग्रामीणों के नहाने के लिए चार स्नानागार, शौच के लिए एक कमोड सहित चार शौचालय तथा बची हुई जगह में आवश्यकतानुसार बेबी फ्रेंडली शौचालय बनवाए जाने थे. लेकिन, सामान्य टायलेट की सीट लगा कर उसे छोड़ दिया गया.
इसकी तस्वीर और वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया. एसडीएम आनंद सिंह श्रीनेत ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया और खंड विकास अधिकारी से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी. कहा जा रहा है कि इस मामले में विकास खंड के पूर्व बीडीओ सुनील कुमार कौशल ने तत्कालीन सचिव प्रमोद कुमार श्रीवास्तव को सामुदायिक शौचालय में पाई गई कमियों को दूर करने के लिए निर्देश दिए थे. लेकिन, उसके तुरंत बाद ही उनका स्थानांतरण हो गया और कमियों को सही नहीं किया जा सका.
प्रकरण को लेकर मुख्य विकास अधिकारी राजेश प्रजापति ने बताया कि शासन की ओर से एक डिजाइन आई थी, जिसमें छोटे बच्चों के लिए ओपन टॉयलेट की व्यवस्था की गई थी. फिर भी प्रशासन इसकी जांच करेगा कि जनपद में जो 39 शौचालय बने हैं, क्या उनके डिजाइन मानक के अनुसार बने हैं या नहीं, अगर जांच में कमी पाई जाती है तो जानबूझकर इस तरह की लापरवाही करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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इस मामले को लेकर कई सवाल खड़े हो रह हैं. अगर बेबी फ्रेंडली शौचालय बनाए जाने थे तो आखिरकार सामान्य सीटें क्यों लग दी गई. अगर सब कुछ सही था तो आनन फानन में इसकी सीट क्यों उखड़वा ली गई. कोविड के मंडराते खतरे के बीच शौचालय जैसी जगह में स्वच्छता को लेकर डिजाइन पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया. मामला संज्ञान में आने के बाद अब अधिकारी जांच की बात कर रहे हैं. लेकिन अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई.