साल 2022 की विदाई हो रही है, तो साल भर में सबसे ज्यादा देखी और पसंद की गयीं फिल्मों की बात जोर-शोर से होगी. लेकिन हो-हल्ले में उन फिल्मों की बात रह जायेगी, जिन्हें देखा जाना चाहिए था. वे किसी कारण या कमी के चलते एक दायरे में सिमट कर रह गयीं. इनमें नेटफ्लिक्स पर आयी कॉमेडी थ्रिलर ‘लूप लपेटा’ को गिना जाना चाहिए, जो 1998 की जर्मन फिल्म ‘रन लोला रन’ का आधिकारिक रीमेक है. नेटफ्लिक्स पर ही चल रही ‘डार्लिंग्स’ व्यंग्यात्मक अंदाज में घरेलू हिंसा की बात करती है. इसे देखा जाना चाहिए.
नेटफ्लिक्स पर आयी अन्विता दत्त द्वारा निर्देशित ‘कला’ भी सिने-प्रेमियों को देखनी चाहिए. डिज्नी हॉटस्टार पर आयी ‘कौन प्रवीण तांबे’ को अवश्य देखा जाना चाहिए, जो भारतीय क्रिकेटर प्रवीण तांबे के जीवन पर आधारित है. उन्होंने 41 साल की उम्र में इंडियन प्रीमियर लीग क्रिकेट खेलना शुरू किया था. सिनेमाघरों में रिलीज हुई पंकज त्रिपाठी और नीरज कबी अभिनीत तथा श्रीजित मुखर्जी द्वारा निर्देशित ‘शेरदिल’ को कायदे के शो नहीं मिले, वरना इसे काफी पसंद किया जाता. यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर है.
एक्शन-सस्पेंस थ्रिलर फिल्म ‘हिट- द फर्स्ट केस’ को सिनेमाघरों में कम ही देखा गया. दो बरस पहले की एक तेलुगू फिल्म के इस रीमेक को एक अलग मिजाज के रोमांच के लिए देखा जाना चाहिए. यह भी नेटफ्लिक्स पर है. प्रकाश झा के अद्भुत अभिनय से सजी एम गनी निर्देशित फिल्म ‘मट्टो की साइकिल’ को ज्यादा थियेटर नहीं मिले और इसी के चलते यह अधिक दर्शकों तक नहीं पहुंच सकी. तेजी से दौड़ रहे देश में अपने हिस्से के विकास का इंतजार कर रहे आम आदमी की दिल छू लेने वाली कहानी है यह.
निर्देशक श्रीराम डाल्टन ने अपनी फिल्म ‘स्प्रिंग थंडर’ को जनवरी, 2022 में सीधे यूट्यूब पर रिलीज कर दिया और इसे जिसने भी देखा, तारीफ ही की. झारखंड के डाल्टनगंज कस्बे में भ्रष्ट नेताओं और अफसरों के बीच पिसते लोगों की कहानी दिखाती यह एक जरूरी फिल्म है. जी-5 पर रिलीज हुई प्रकाश राज निर्देशित ‘तड़का’ में नाना पाटेकर के शानदार अभिनय से सजी धीमी आंच पर पकती एक हल्की-फुल्की रोमांटिक कहानी देखने को मिलती है.
रजत कपूर के निर्देशन में बनी उन्हीं के डबल रोल वाली ‘आरके/आरके’ को अलग मिजाज की फिल्में पसंद करने वाले दर्शकों को देखना चाहिए. अनुराग कश्यप की मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म ‘दोबारा’ भी ज्यादा नहीं देखी गयी. यह साइंस फिक्शन स्पेनिश फिल्म ‘मिराज’ का रीमेक है. नीलांजन रीता दत्ता के निर्देशन में बनी ‘शैडो असैसिन्स’ ने असम राज्य में बरसों पहले हुई अर्थहीन हिंसा पर बहुत सार्थक ढंग से अपनी बात रखी. निर्माताओं की सुस्ती के चलते यह फिल्म सब जगह रिलीज न हो सकी.
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इन फिल्मों के अलावा संजय मिश्रा वाली ‘होली काऊ’, राजकुमार राव वाली ‘मोनिका ओ माई डार्लिंग’, कार्तिक आर्यन वाली ‘फ्रेडी’, रेवती निर्देशित काजोल वाली ‘सलाम वैंकी’, अजय बहल की तापसी पन्नू की हॉरर-थ्रिलर ‘ब्लर’ और संजय मिश्रा-नीना गुप्ता वाली ‘वध’ जैसी फिल्मों को भी देखा जाना चाहिए.
दीपक दुआ
समीक्षक-टिप्पणीकार