Year Ender 2022: Year Ender 2022: उत्तर प्रदेश की सियासत में 2022 काफी उथल-पुथल भरा रहा है. इस साल विधानसभा चुनाव से लेकर हर उपचुनाव बेहद खास और यूपी की सियासत को नई दिशा देने वाला रहा. इस साल को एक तरह से चुनावी वर्ष भी कहा गया, जिसमें हर बार सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों को अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ा. चुनाव के लिए हर समय तैयार रहने का दावा करने वाली भाजपा ने जहां विपक्ष को उपचुनाव में भी शिकस्त दी, वहीं साल जाते जाते विपक्ष ने भी जीत हासिल कर दिखाया कि माहौल एकतरफा नहीं है. एक नजर प्रदेश की ऐसी ही पांच प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर…
विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर सारे पूर्वानुमान तोड़ दिए. भाजपा की अगुआई वाली एनडीए को कुल 273 सीटों पर जीत मिली. इसमें भाजपा के 255 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. वहीं समाजवादी पार्टी की अगुआई वाले विपक्ष को 125 सीटें मिलीं. इसमें सपा के 111 प्रत्याशी चुनाव जीते. इसके अलावा कांग्रेस के दो और बसपा के एक प्रत्याशी को जीत मिली.
रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भैया’ के नेतृत्व वाले जनसत्ता दल लोकतांत्रिक ने भी दो सीटों पर जीत हासिल की. वहीं आम आदमी पार्टी की लगभग सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई. इस जीत के साथ योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बने और पार्टी व सरकार दोनों में उनका कद ऊंचा हुआ, वहीं केशव प्रसाद मौर्य की हार भी इस चुनाव में सुर्खियों में रही. हालांकि इसके बावजूद पार्टी ने उन्हें दोबारा डिप्टी सीएम बनाया.
विधानसभा चुनाव 2022 में मिली जीत भाजपा के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए बड़ी उपलब्धि रही. 2017 में उन्हे सीएम पद जहां पार्टी नेतृत्व के कारण मिला, वहीं 2022 में चुनाव उनके चेहरे पर लड़ा गया और जनता ने उनके नाम पर मुहर लगाई. इस धमाकेदार जीत के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य की राजनीति में नया इतिहास रचा. वह 37 साल बाद पांच साल का कार्यकाल पूरा करके सत्ता में वापसी करने वाले यूपी के पहले मुख्यमंत्री बने.
उत्तर प्रदेश में इससे पहले चार मुख्यमंत्री ऐसे थे, जिनकी सत्ता में वापसी हुई थी. लेकिन, उनमें से कोई भी पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया. 1985 में नारायण दत्त तिवारी लगातार दो बार चुनाव जीतने वाले आखिरी मुख्यमंत्री थे. इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने 37 साल बाद इतिहास रचते हुए सरकार चलाते हुए सत्ता में वापसी की.
यूपी के अन्य मुख्यमंत्रियों की बात करें तो 1957 में संपूर्णानंद, 1962 में चंद्रभानु गुप्ता और 1974 में हेमवती नंदन बहुगुणा ऐसे मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने लगातार दो बार चुनाव में जीत दर्ज की. इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ प्रदेश में सत्ता बरकरार रखने वाले भाजपा के पहले मुख्यमंत्री भी बने. बतौर मुख्यमंत्री पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले वह तीसरे सीएम हैं. इससे पहले बसपा मुखिया मायावती ने 2007-12 और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2012-17 तक मुख्यमंत्री पद का अपना कार्यकाल पूरा किया. वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 के बाद 2022 में भी सरकार के मुखिया की कमान संभाली.
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का निधन 2022 की बेहद अहम राजनीतिक घटना रही. मुलायम के निधन से न सिर्फ यूपी बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी एक जगह रिक्त हो गई. 10 अक्टूबर को सपा संस्थापक का गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया. मुलायम सिंह यादव तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने तीसरे मोर्चे की सरकार में रक्षा मंत्री का पद भी संभाला. उनके निधन के बाद पूरे देश से शोक संवेदनाओं की झड़ी लग गई. प्रधानमंंत्री से लेकर हर पार्टी के नेताओं ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.
मुलायम के निधन के बाद उपचुनाव में सियासत के कई रंग देखने को मिले. भाजपा ने जहां उपचुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी, वहीं सैफई कुनबे ने भी मौके की नजाकत को समझते हुए एक होना बेहतर समझा. इसकी बदौलत डिंपल यादव ने भाजपा उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य को करीब 2.88 लाख वोट के अंतर से हराया. इस सीट पर सबसे ज्यादा अंदर जसवंतनगर में रहा, जहां उन्होंने रिकॉर्ड 1.06 लाख की लीड ली. इससे पहले मैनपुरी में मुलायम ने 94 हजार वोट के अंतर से 2019 में जीत दर्ज की थी. वहीं जीत के बाद शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव की मौजूदगी में अपनी पार्टी प्रसपा (लोहिया) के सपा में विलय का ऐलान किया.
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2022 में मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा उपचुनाव में रालोद ने जहां भाजपा के कब्जे वाली ये सीट जीत ली और मदन भैया ने जीत दर्ज की, वहीं रामपुर उपचुनाव का नतीजा भी साल की प्रमुख राजनीतिक घटनाओं में से एक रहा. इसमें भाजपा ने आजम के अभेद किले को ध्वस्त करते हुए रामपुर में धमाकेदार जीत दर्ज की. नवंबर में हेट स्पीच केस में सजा होने के बाद आजम खान की सदस्यता चली गई.
इसके बाद रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में भाजपा के आकाश सक्सेना ने आजम के करीबी आसिम रजा को हराकर इस सीट पर पहली बार कमल खिलाया. बीते 45 सालों में ऐसा पहली बार है जब रामपुर सीट पर आजम खान के परिवार से कोई सांसद या विधायक नहीं है. इससे पहले जब आजम ने विधानसभा चुनाव जीतने के बाद रामपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दिया था, तो भी उपचुनाव में भाजपा के घनश्याम लोधी ने आसिम रजा को शिकस्त दी थी. इस तरह दोनों सियासी घटनाक्रम में सपा से ज्यादा आजम ने खोया.
वहीं यूपी विधानसभा चुनाव में करहल सीट पर जीत दर्ज करने के बाद जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दिया, तो उसके बाद इस लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ. इस उपचुनाव में भी भाजपा ने सपा के गढ़ में जीत दर्ज की. पार्टी उम्मीदवार दिनेश लाल यादव निरहुआ ने अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को शिकस्त दी. आजमगढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा की ये पहली जीत थी. इस तरह 2022 में हर उपचुनाव सियासी लिहाज से बेहद अहम रहा.