Brahmos Missile: भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) ने बुधवार को ब्रह्मोस एयर-लॉन्च मिसाइल के विस्तारित रेंज वर्जन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. यह मिसाइल लगभग 400 किमी की दूरी पर लक्ष्य को भेदने में सक्षम है. सुखोई एसयू-30 लड़ाकू विमान (Su-30 Fighter Aircraft) लड़ाकू विमान से प्रक्षेपित किए जाने के बाद मिसाइल ने लक्ष्य जहाज को मारा गिराया.
रक्षा अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि सुखोई एसयू-30 लड़ाकू विमान से मिसाइल को दागा गया और इसने सटीक लक्ष्य पर प्रहार किया. अधिकारी ने कहा कि यह मिसाइल के एयर-लॉन्च संस्करण के एंटी-शिप संस्करण का परीक्षण था. सुखोई-30 एमकेआई विमान के बेहतर प्रदर्शन के साथ एयर लांच ब्रम्होस मिसाइल की एक्सटेंडेड रेंज क्षमता भारतीय वायु सेना को एक रणनीतिक बढ़त देगी.
Indian Air Force on Wednesday successfully test-fired the extended range version of the BrahMos Air-launched missile, which can hit targets at a range of about 400 km: Defence officials pic.twitter.com/kHZWlCQWBT
— ANI (@ANI) December 29, 2022
इससे पहले, भारतीय सेना की पश्चिमी कमान 29 नवंबर को सतह से सतह पर मार करने वाली सुपसॉनिक क्रूज मिसाइल का टेस्ट किया था. यह परीक्षण भारतीय सेना की अंडमान-निकोबार द्वीप समूह कमान की ओर से किया गया था. ब्रह्मोस मिसाइल का एयर लॉन्च वर्जन 2012 में सामने आया था और 2019 में इसे भारतीय वायुसेना में की सेवा में शामिल किया गया था. इसकी रेंज को और बढ़ाने की योजना है.
माना जाता है कि ब्रह्मोस एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के रूप में दुनिया में सबसे तेज है. ब्रह्मोस मिसाइल के जरिए भारत की सुरक्षा चक्र काफी मजबूत हुई है. दरअसल, यह मिसाइल दुश्मनों के ठिकानों को पल भर में नेस्तनाबूद करने की ताकत रखती है. ब्रह्मोस को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानि DRDO और रूस के फेडरल स्टेट यूनिटरी इंटरप्राइज (NPOM) के बीच साझा समझौते के तहत विकसित किया गया है. यह एक मध्यम श्रेणी की स्टील्थ रैमजेट सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे जहाज, पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट या फिर धरती से लॉन्च किया जा सकता है. ब्रह्मोस मिसाइल का नाम दो नदियों भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है.
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