Bihar Sharab News: बिहार में शराबबंदी के बाद भी तस्करों व काला कारोबार करने वाले धंधेबाजों से शराब लेकर पीने वालों के शरीर में अब बीमारी प्रवेश कर रहा है. परेशानी सिर्फ अल्कोहल से नहीं बल्कि ताड़ी एवं अन्य नशीला पेय भी लोगों को लीवर कैंसर तक देने लगा है. भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल एवं निजी अस्पताल में ऐसे मरीजों की संख्या प्रति माह दो से तीन दर्जन के आसपास है.
जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रोजाना दो से तीन मरीज लीवर की समस्या लेकर आ रहे है. जांच में पता चलता है कि इनके लीवर में पस जमा हो गया है. इससे लीवर धीरे धीरे काम करना बंद कर रहा है. मरीज का भोजन नहीं पच रहा है ना ही उसका शरीर बेहतर तरीके से काम कर रहा है.
मेडिसिन विभाग के वरीय चिकित्सक डॉ डीपी सिंह कहते हैं- मरीज से सीधे पूछा जाता है आप शराब पीते हो या कोई अन्य नशीला पेय का सेवन करते है. मरीज खुल कर कहते है ताड़ी पीते है. कहीं गये और आसानी से अल्कोहल मिल गया तो उसे भी पी लेते हैं. यानी शराबबंदी के बाद इन लोगों ने नशे के लिए हर हानिकारक पेय का सेवन करते हैं. जिसका परिणाम लीवर में अवशेष यानी पस बन रहा है. ऐसे मरीजों के लीवर में हेपेटाइटिस बी, सी पहले होता है. इलाज सही समय पर नहीं होने से यह कैंसर के रूप में बदल जाता है.
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शराब एवं ताड़ी की वजह से अपना लीवर खराब कर चुके मरीज धीरे धीरे लीवर सिरोसिस रोग का शिकार हो रहे है. इस रोग को समय पर काबू नहीं किया गया तो यही आगे चल कर लीवर कैंसर के रूप में सामने आता है. डॉ डीपी सिंह कहते हैं इस रोग से बचने के लिए सभी व्यक्ति को सबसे पहले हेपेटाइटिस बी का टीका लगाना चाहिए. इससे लीवर में रोग होता है लेकिन सिरोसिस नहीं बनता है. वहीं नशा करने वाले हानिकारण शराब, ताड़ी का उपयोग करते हैं. जिससे सीधा लीवर पर असर हो रहा है. धीरे-धीरे लीवर पचा नहीं पा रहा है. परिणाम धीरे-धीरे शरीर रोग के भार से खत्म होने लगता है.
Posted By: Thakur Shaktilochan