बिहार में मध्य दिसंबर तक करीब 48 हजार कांड लंबित थे. इनमें सामान्य वाद से संबंधित 47994 जबकि स्पीडी ट्रायल से संबंधित 865 कांड लंबित हैं, जिनमें इनमें महज 131 कांडों में सजा सुनायी गयी है. नवादा, अरवल, बक्सर, बेगूसराय, सासाराम और मोतिहारी ऐसे जिले रहे जहां इस साल जनवरी से नवंबर के बीच किसी भी कांड में सजा नहीं हुई है.
यह जानकारी गृह विभाग के अभियोजन निदेशालय की समीक्षा बैठक में दी गयी. बैठक में निर्देश दिया गया कि अगर एससी-एसटी एक्ट से जुड़े मामलों में अनुसंधानकर्ता के द्वारा 60 दिनों में आरोप पत्र समर्पित नहीं किया जाता है, तो इसकी सूचना लिखित रूप से अविलंब संबंधित एसपी को दी जाये. साथ ही इसकी प्रति सीआइडी के कमजोर वर्ग के एडीजी को भेजी जाये. हत्या के मामले में अनुसंधानकर्ता द्वारा आरोप पत्र समर्पित करने पर न्यायालय से यथाशीघ्र आरोप गठन करने का अनुरोध करने को कहा गया.
एससी-एसटी कांडों में सजा दिलाने को जिला स्तर पर बनेगी गवाहों की सूची
पिछले दिनों सभी जिलों के विशेष लोक अभियोजकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग से ली गयी समीक्षा बैठक में अभियोजन निदेशक प्रभुनाथ सिंह ने निर्देश दिया कि अनुसचित जाति-जनजाति एक्ट के तहत दर्ज कांडों में अपराधियों को जल्द सजा दिलाने के लिए जिलास्तर पर गवाहों की सूची तैयार की जाये. इसके लिए गवाहों की सूची जिले में पुलिस के अभियोजन कोषांग में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया. अगर अभियोजन कोषांग समय पर कोर्ट में गवाह को उपस्थित नहीं कराता है, तो इसकी सूचना अभियोजन निदेशालय को देने को कहा गया है.
गवाह को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश
निदेशक ने ऐसे वादों को भी चिह्नित करने का निर्देश दिया है, जिसमें सूचक, गवाह या पीडि़त को सुरक्षा की जरूरत है, ताकि उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई जा सके. सीआइडी के अपर पुलिस अधीक्षक मदन कुमार आनंद ने सरकारी गवाह के उपिस्थत न होने पर इसकी सूची सीआइडी के एडीजी को उपलब्ध कराने को कहा.