अगर हम देश को सफलता की नयी ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते हैं तो हमें अतीत के संकुचित नजरियों से भी आजाद होना होगा. उक्त बातें आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीर बाल दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में कही.
पीएम मोदी ने कहा कि हम आजादी के ‘अमृत महोत्सव’ में देश के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं. हमारे स्वाधीनता संग्राम में कई ऐसे सेनानियों, वीरांगनाओं ने भी भाग लिया था, जिनका योगदान अंधेरे में हैं. हम उन लोगों के संघर्ष को सामने लाने और उसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए हम काम कर रहे हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि साहिबजादों ने इतना बड़ा बलिदान दिया लेकिन उनकी शौर्यगाथा को भुला दिया गया. हम इस भूल को सुधारने में जुटे हैं. दो निर्दोष बालकों को दीवार में जिंदा चुनवाने जैसी दरिंदगी क्यों की गई? इसकी वजह यह थी कि मुगल शासक औरंगजेब और उसके लोग गुरु गोविंद सिंह के बच्चों का धर्म तलवार के दम पर बदलना चाहते थे. लेकिन साहिबजादे वीर बालक थे वे तलवार के सामने नहीं झुके.
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प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा अपने साहस से समय की धारा को हमेशा के लिए मोड़ देता है और इसी संकल्प शक्ति के साथ आज भारत की युवा पीढ़ी भी अग्रसर हो चुकी है. मोदी ने कहा कि सिख गुरु परंपरा केवल आस्था और आध्यात्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत के विचार का भी प्रेरणापुंज है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इस वर्ष ही गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व के अवसर पर यह घोषणा की थी कि उनके दोनों के शहादत दिवस यानी 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जायेगा. आज इस दिवस के आयोजन अवसर पर प्रधानमंत्री ने उक्त बातें कहीं.