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यूपी की नौकरशाही के अगले मुखिया को लेकर अटकलें तेज, 31 दिसंबर को खत्म हो रहा CS डीएस मिश्र का कार्यकाल…

दुर्गा शंकर मिश्र 1984 बैच के आईएएस अफसर हैं और वह पिछले साल दिसंबर में 60 वर्ष के हो गए थे. रिटायरमेंट से पहले ही केंद्र सरकार ने सेवा विस्‍तार करते हुए दुर्गा शंकर मिश्र को यूपी मूल काडर में भेजा था.

Lucknow: यूपी की नौकरशाही में नये साल में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है. मुख्‍य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र का कार्यकाल 31 दिसंबर को खत्‍म हो रहा है. उनको सेवा विस्‍तार न मिलने की स्थिति में नौकरशाही का मुखिया कौन होगा, इस पर अटकलें लगाई जा रही हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भरोसा कौन वरिष्ठ आईएएस अफसर जीत पाता है, इसे लेकर कई नामों पर चर्चाएं तेज हैं. वहीं ये भी मुमकिन है कि किसी अफसर पर निर्णय न हो पाने की स्थिति में कार्यवाहक मुख्‍य सचिव की नियुक्ति करके सरकार वक्त ले सकती है.

सेवा विस्तार को लेकर नहीं भेजा गया पत्र

मुख्‍य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र अपने पद पर बने रहेंगे या उनकी जगह किसी नये अफसर को यह ओहदा दिया जाएगा, इस पर अभी स्थिति स्‍पष्‍ट नहीं हो सकी है. दरअसल कहा जा रहा है कि मुख्‍य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के सेवा विस्‍तार के लिए अभी तक प्रदेश की सरकार ने केंद्र सरकार को कोई पत्र नहीं लिखा है. अगर सरकार के स्तर से पत्र भेजा जाता है, तो भी इस पर अंतिम फैसला केंद्र का ही होगा.

केंद्र ने सेवा विस्तार करते हुए भेजा था यूपी

दुर्गा शंकर मिश्र 1984 बैच के आईएएस अफसर हैं और वह पिछले साल दिसंबर में 60 वर्ष के हो गए थे. रिटायरमेंट से पहले ही केंद्र सरकार ने सेवा विस्‍तार करते हुए दुर्गा शंकर मिश्र को यूपी मूल काडर में भेजा था.

वरिष्ठता के आधार पर ये नाम चर्चाओं में

इस बीच मौजूदा कई अन्य वरिष्ठ आईएएस अफसरों के नाम भी मुख्य सचिव की कुर्सी के लिए चर्चाओं में हैं. दुर्गा शंकर मिश्र को सेवा विस्‍तार नहीं मिलने पर 1985 बैच के आईएएस राजेंद्र कुमार तिवारी यूपी कैडर के सबसे सीनियर अफसर होंगे. वह यूपी के पूर्व मुख्‍य सचिव रह चुके हैं. वर्तमान में वह चेयरमैन, उत्तर प्रदेश स्टेट रोड ट्रांसपोर्टेशन कॉरपोरेशन के पद पर तैनात हैं. वह साल 2023 में फरवरी में सेवानिवृत होने वाले हैं. ऐसे में उनके नाम की संभावना कम ही जताई जा रही है.

1987 या 1988 बैच के किसी अफसर को मिल सकती है जिम्मेदारी

इसके साथ ही 1986 बैच का अब कोई अफसर नहीं बचा है. अब सरकार 1987 या 1988 बैच के किसी अफसर को मुख्‍य सचिव बना सकती है. 1987 बैच के अफसरों की बात करें तो अपर मुख्‍य सचिव ऊर्जा महेश कुमार गुप्‍ता सबसे सीनियर हैं. उनके रिटायरमेंट में करीब डेढ़ साल का समय है. इसके अलावा इसके अलावा राजस्व परिषद के अध्यक्ष संजीव कुमार मित्तल भी 1987 बैच के हैं. उनका रिटायरमेंट भी इसी साल है. अपर मुख्य सचिव सचिवालय प्रशासन हेमंत राव भी 1987 बैच के हैं और उनका रिटायरमेंट भी फरवरी, 2024 में है. इसके अलावा केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात आईएएस अरुण सिंघल, लीना नंदन और सुनील कुमार भी 1987 बैच के अफसर हैं.

मनोज कुमार सिंह रेस में आगे

इस बीच मुख्‍य सचिव की दौड़ में सबसे ज्‍यादा जिस नाम को लेकर चर्चा हो रही है, वह कृषि उत्‍पादन आयुक्‍त मनोज कुमार सिंह का है. माना जा रहा है कि सरकार उनको ये अहम जिम्मेदारी सौंप सकती है. हालांकि वह 1988 बैच के अफसर हैं. 1988 बैच के ही आईआईडीसी अरविंद कुमार भी इस रेस में है. मगर, उनका रिटायरमेंट फरवरी में है.

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कार्यवाहक मुख्य सचिव को लेकर भी अटकलें

इन अफसरों के नाम की अटकलों के बीच कार्यवाहक मुख्य सचिव को तैनात करने की भी चर्चा हो रही है. दरअसल सरकार पहले भी ऐसा प्रयोग कर चुकी है. योगी सरकार के पहले कार्यकाल में जब आईएएस अनूप चन्द्र पांडेय मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत हुए थे. तब करीब पांच महीने तक आईएएस राजेन्द्र कुमार तिवारी को कार्यवाहक मुख्य सचिव के रूप में तैनात किया गया था. हालांकि बाद में उन्हें ही मुख्य सचिव पद की जिम्मेदारी सौंप दी गई.

अखिलेश सरकार भी कर चुकी है ये फैसला

इससे पहले अखिलेश यादव सरकार में भी जब आलोक रंजन मुख्य सचिव पद से रिटायर हुए थे. तब करीब एक हफ्ते के लिए प्रवीर कुमार को कार्यवाहक मुख्य सचिव बनाया गया था. बाद में दीपक सिंघल को मुख्य सचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. अब यूपी की नौकरशाही का अगला मुखिया कौन होगा या सरकार कार्यवाहक मुख्य सचिव को लेकर कोई फैसला करती है, इसकी तस्वीर साल के अंत में साफ हो जाएगी.

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