20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Christmas 2022: बड़े दिन के सुस्वादु व्यंजन

Christmas 2022: क्रिसमस का नाम लेते ही जो चित्र सबसे पहले उभरता है, वह क्रिसमस केक का है. ऐसी ही अहमियत क्रिसमस पुडिंग की है. इन दोनों को रिच पल्म पुडिंग या रिच पल्म केक कहा जाता है. पुडिंग को भाप से पकाया जाता है. इनके जायके की जान रम, ब्रांडी या वाइन में भिगाये हुए सूखे फल और मेवे होते हैं.

Christmas 2022: त्योहार पूरे देश में एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाये जाते है, जैसे- होली, दिवाली, ईद और गुरूपर्व, उनमें क्रिसमस भी एक है. यह वह मौसम है, जिसका गरिष्ठ खानपान और दावतों के साथ खास नाता है. दावतों का यह दौर नये साल के कुछ दिन बाद तक चलता रहता है. बहुत लोगों को यह गलतफहमी है कि त्योहार के रूप में क्रिसमस का आगमन भारत में अंग्रेज हुक्मरानों के साथ हुआ और यह एक फिरंगी त्योहार है. हकीकत में भारत में ईसा के अनुयायी धर्म प्रचारकों का आगमन ईसा के जन्म के बाद पहली सदी में ही हो चुका था. केरल में जो सूर्यानी ईसाई रहते है, उनका शुमार संसार के प्राचीनतम ईसाई समुदायों में होता है. दिलचस्प बात यह भी है कि यूरोपीयों के भारतीय उपमहाद्वीप में पैर पसारने के बाद देश के अनेक प्रांतों का परिचय ईसाईयत से हुआ. देश के विभिन्न सूबों में बड़े दिन के खाने के जायकों में अद्भुत विविधता देखने को मिलती है.

देश के जिन हिस्सों में ईसाई आबादी का घनत्व है, उनमें पुर्तगाली उपनिवेश रह चुका गोवा, केरल, मुंबई, कोलकाता तथा चेन्नई प्रमुख हैं. उत्तर-पूर्व के राज्यों की आबादी ईसाई बहुल है. मध्य प्रदेश में आदिवासी अंचल में भी ईसाई धर्म प्रचारक सक्रिय रहे हैं और यहां जन-जीवन में ईसाई रस्मो-रिवाज घुल मिल चुके है. जबलपुर हो या बड़ी छावनियां या फिर हिल स्टेशन देशभर में बड़े दिन का खाना अलग स्थान बना चुका है. क्रिसमस का नाम लेते ही जो चित्र सबसे पहले उभरता है, वह क्रिसमस केक का है. ऐसी ही अहमियत क्रिसमस पुडिंग की है. इन दोनों को रिच पल्म पुडिंग या रिच पल्म केक कहा जाता है. केक को ओवन में सेंका जाता है, तो पुडिंग को भाप से पकाया जाता है. इनके जायके की जान रम, ब्रांडी या वाइन में भिगाये हुए सूखे फल और मेवे होते हैं. फेंटे अंडों के साथ इस मिश्रण को कई हफ्तों तक अलग रखा जाता है, ताकि ये जायके केक में रच-बस जायें. इसी मिश्रण से छोटी-छोटी पेस्ट्रीनुमा मिंसपाई भी तैयार करते है.

Also Read: आदिवासी खानपान को ब्रांड बना रहे रांची के कपिल, दो करोड़ की नौकरी छोड़ मड़ुआ को बनाया ब्रांड

इस पर्व के अवसर पर ईसाई लोग परिचितों को छोटे-छोटे केक उपहार में भेजते हैं. कई जगह पल्म पुडिंग की जगह सूजी, नारियल, गुड और वनीला एसेंस वाले केक भी खाये-खिलाये जाते हैं. केरल, गोवा और तमिलनाडु में पल्म केक की तुलना में इन स्थानीय केकों की ही परंपरा लोकप्रिय है. ओडिशा के आदिवासी ईसाई समाज में केक की अहमियत कम है. चावल को पीसकर गुड़ और नारियल मिलाकर खाजा बनाया जाता है, जो केक की तरह ही टिकाऊ होता है. शहरी ईसाई समुदाय में भले ही बड़े दिन के खाने पर रोस्ट मुर्गी या बकरे की रान पकायी जाती हो, अधिकतर कस्बों और ग्रामीण अंचल में देसी और स्थानीय जायके ही मुंह में पानी लाने को यथेष्ट समझे जाते हैं. पूर्वोत्तर भारत में मछली, चावल, बास की कोंपलें रोजमर्रा की जगह थाली में जगह पाती है, तो उत्तरी भारत में (दिल्ली समेत) क्रिसमस की दावत में मेहमानों को कबाब, बिरयानी, पुलाव और कोरमा खाने को मिलता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें