झारखंड सरकार द्वारा राज्य में दो अौर प्राइवेट विवि खोले जा रहे हैं. इनमें घाटशिला में सोना देवी विवि अौर गढ़वा में बाबू दिनेश सिंह विवि शामिल हैं. दोनों विवि से संबंधित विधेयक गुरुवार को झारखंड विधानसभा से पारित कराये गये. अब इसे राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजा जायेगा. इस विधेयक के मुताबिक इन विवि में कुलपति की नियुक्ति पांच वर्ष के लिए होगी. लेकिन अवधि पूरी होने के बाद पांच वर्ष के एक और कार्यकाल के लिए पुन: नियुक्ति की जायेगी.
लेकिन शर्त यह रहेगी कि कुलपति के रूप में नियुक्त व्यक्ति 70 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद अपने पद से कार्यकाल के दौरान या विस्तारित कार्यकाल से सेवानिवृत्त हो जायेंगे. इसके अलावा इन विवि में शिक्षकेतर कर्मचारियों के पदों के कम से कम 50 प्रतिशत पद झारखंड राज्य के निवासी (अधिवासी) लोगों के लिए आरक्षित करने का प्रावधान रखना होगा. सीटोें के आरक्षण का नियमन झारखंड सरकार के नियम और समय-समय पर जारी आदेशों के द्वारा किया जायेगा. विवि में सामान्य, तकनीकी सहित रोजगारपरक कोर्स चलाये जायेंगे.
विवि को स्थापना के पांच वर्ष के अंदर नैक से ग्रेडिग व मान्यता प्राप्त करना आवश्यक होगा. विवि में निर्धन एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के विद्यार्थियों के लिए विवि को शिक्षण शुल्क में पूरी क्षमता के कम से कम पांच प्रतिशत को मेधा छात्रवृत्ति की अनुमति देनी होगी. विवि लिंग, धर्म, वर्ग, रंग, पंथ अथवा मत से परे सबके लिए खुला होगा. विवि को यूजीसी से स्वीकृति के बाद दूरस्थ शिक्षा शुरू कर सकेंगे. विवि को राज्य या राज्य के बाहर अध्ययन केंद्र खोलने की सुविधा रहेगी.
इस विवि को किसी कॉलेज या संस्था को संबद्धता देने का विशेषाधिकार नहीं होगा. झारखंड के राज्यपाल विवि के विजिटर होंगे. दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करेंगे. कुलाधिपति की नियुक्ति विजिटर की अनुशंसा के बाद पांच वर्ष के लिए होगी.
कार्यकाल पूरा होने पर विजिटर की अनुशंसा पर ही पुन: नियुक्त हो सकेंगे. सामान्य विवि की तरह पदाधिकारियों की नियुक्ति होगी. विवि के एकल प्रभाव क्षेत्र के लिए मुख्य परिसर में कम से कम 10 एकड़ जमीन उपलब्ध करानी होगी. बहु प्रभाव वाले क्षेत्र के लिए 25 एकड़ विवि की स्थापना के दो वर्ष के भीतर करना होगा. छात्रावास, आवास, कैंपस, क्लास रूम, प्रयोगशाला आदि का निर्माण तीन वर्ष के भीतर करना होगा.