मुजफ्फरपुर. पुलिस की जांच पर लगातार सवाल उठ रहा है. मुजफ्फरपुर के एक और मामले की जांच अब सीबीआइ को दी गयी है. यह मुजफ्फरपुर के लिए नौवां और उत्तर बिहार के लिए 22वां मामला होगा, जिसकी जांच सीबीआइ करेगी. वैसे सीबीआई का अब तक का रिकार्ड बेहद खराब रहा है. उत्तर बिहार में सीबीआई मुख्य रूप से एसीबी शाखा बैंक, पोस्ट ऑफिस व रेलवे में फर्जीवाड़ा व रिश्वत लेने के मामले की जांच कर रही है. एसीसी, अपहरण, पोक्सो व हत्या जैसे मामले की जांच पूरी हो चुकी है. वहीं नवरुणा कांड में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दिया है. अन्य मामले की जांच जारी है.
ब्रह्मपुरा पुलिस की जांच से नाखुश होकर हाइकोट ने खुशी अपहरण की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंप दिया है. इससे पहले जवाहर लाल रोड की नवरुणा अपहरण, बालिका गृह, पीएनबी घोटाला, कांटी स्थित बीएसएनएल/एनटीपीसी में फर्जीवाड़ा, भिक्षुक सेवा कुटिर व पोस्ट आफिस आदि मामले की जांच सीबीआइ कर रही है. उत्तर बिहार से ललित नारायण मिश्रा हत्याकांड सीबीआई को सौंपा जानेवाला पहला मामला था, जबकि बालिका गृह कांड में सीबीआइ ने जांच पूरी कर ली. जबकि अन्य मामलों की जांच चल रही है.
ललित बाबू से नवरुणा तक सीबीआई ने अब तक किसी भी मामले में कोई बड़ा उद्भेदन नहीं किया है. ललित बाबू और नवरुणा मामले में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट लगाकर अपनी नाकामी साबित कर चुकी है. अब ऐसे में खुशी मामले में सीबीआई क्या कुछ कर पाती है यह सबसे बड़ा सवाल है. ब्रह्मपुरा था क्षेत्र के लक्ष्मी चौक पमरिया टोला के राजन साह की बेटी खुशी के अपहरण की गुत्थी अब तक उलझी हुई है. नवरुणा की तरह इसको लेकर भी सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है. सीबीआई का रिकार्ड अब तक निराशाजनक रहा है. फिर भी लोगों को उम्मीद है कि सीबीआई इस बार गुत्थी सुलझा लेगी.
बिहार में सीबीआई कुल 112 मामले की जांच कर रही है. इसमें एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) के 21 और एसीबी (स्पेशल क्राइम ब्यूरो) के 91 मामले शामिल हैं. 112 मामलों में से आठ मामले मुजफ्फरपुर के हैं, जबकि उत्तर बिहार की बात करें तो पूर्वी चंपारण से पांच, समस्तीपुर, सीमामढ़ी और पश्चिम चंपारण से एक एक मामले हैं. वैशाली से तीन मामले हैं. यह सभी केस 15 नवंबर 2016 के बाद सीबीआई को सौंपे गये हैं. कुल केस में 21.28 प्रतिशत मामले उत्तर बिहार के हैं.