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डीएमवाई फार्मूले पर नगर निकाय चुनाव लड़ेगी सपा, पहली बार लोकसभा में प्रयोग, जानें अखिलेश यादव की रणनीति

नगर निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी पहली बार बड़ा प्रयोग करने जा रही है. सपा ने एमवाई (मुस्लिम यादव) फार्मूले को डीएमवाई (दलित, मुस्लिम और यादव) फार्मूले के रूप में तब्दील किया है. यूपी में 22 फीसद से अधिक दलित और 20 फीसद से अधिक मुस्लिम, जबकि 7 फीसद यादव मतदाता हैं.

Bareilly News: उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव 2022 को लोकसभा चुनाव 2024 का सेमीफाइनल माना जा रहा है. इसीलिए कोई भी दल किसी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता. समाजवादी पार्टी (SP) इस चुनाव में पहली बार बड़ा प्रयोग करने जा रही है. सपा ने एमवाई (मुस्लिम यादव) फार्मूले को डीएमवाई (दलित, मुस्लिम और यादव) फार्मूले के रूप में तब्दील किया है.

डीएमवाई मतदाता मिलकर करीब 50 फीसद

यूपी में 22 फीसद से अधिक दलित और 20 फीसद से अधिक मुस्लिम, जबकि 7 फीसद यादव मतदाता हैं. यह तीनों मतदाता मिलकर करीब 50 फीसद होते हैं. सपा यूपी के 50 फीसद मतदाताओं के सहारे नगर निकाय चुनाव के साथ ही यूपी लोकसभा की 80 सीट पर जीत का परचम फहराने की कोशिश में है. इसलिए अखिलेश यादव दलित समाज के बड़े नेताओं को तवज्जो देने के साथ ही लगातार पार्टी में शामिल कर रहे हैं.

बसपा से दूर हो रहा दलित, सपा में दलित समाज के कई बड़े चेहरे

दलित समाज के कई बड़े चेहरे सपा में आ चुके हैं, तो बाकी बचे नेताओं को सपा में शामिल कराने की कोशिश चल रही है. सपा निकाय चुनाव में मुस्लिमों के साथ ही बड़ी संख्या में दलित समाज के दावेदारों को टिकट देगी. इसके लिए आवेदन लेने शुरू कर दिए हैं. उत्तर प्रदेश में 22 फीसद दलित है, लेकिन बसपा को यूपी विधानसभा चुनाव सिर्फ 12 फीसद वोट मिले हैं. इससे साफ जाहिर है कि दलित बसपा से भी दूर हो चुका है. दलित को अपनाने के लिए भाजपा के साथ ही अब सपा भी जुट गई है. जिससे नगर निकाय के साथ ही लोकसभा चुनाव 2024 में नैया पार की जा सके.

जरनल सीट पर एससी को टिकट

सपा अनारक्षित (जरनल) सीट पर भी एससी कैंडिडेट को भी चुनाव लड़ाने की तैयारी की है.बरेली नगर निगम की अनारक्षित सीट पर भी एससी कैंडिडेट को लड़ाने की कोशिश की जा रही है.इसके साथ ही अन्य निकायों में भी एससी कैंडिडेट को सपा लड़ाएगी.

उप चुनाव में दलित वोटर ने दिया था साथ

उपचुनाव में लखीमपुर खीरी की गोला गोकर्णनाथ विधानसभा, मैनपुरी लोकसभा, खतौली और रामपुर विधानसभा में दलित मतदाता (एससी वोटर) सपा के साथ रहा है.मगर, इससे सपा की जिम्मेदारी एससी वोटर को जोड़ने की और हो गई है. नगर निकाय चुनाव में सपा सिंबल (पार्टी चुनाव चिन्ह) पर चुनाव लड़ाएगी.मेयर, नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष (चेयरमैन), नगर निगम के पार्षद को सिंबल पर चुनाव लड़ाएगी.मगर, नगर पालिका और नगर पंचायत के सदस्यों को सिंबल नहीं दिया जाएगा.

विपक्षी दलों में बेचैनी

सपा के फैसले से विपक्षी दल बेचैन हैं.एक सपाई ने दबीं जुबा से बताया कि बरेली से लखनऊ तक सपा में अपना कैंडिडेट भेजकर फैसला बदलवाने की कोशिश शुरू हो गई है.जिससे मेयर सीट पर कब्जा बरकरार रखा जा सके.इसमें कुछ सपाई भी शामिल हो गए हैं, जो अनारक्षित सीट पर एससी कैंडिडेट को न लड़ाने की सलाह देने के साथ ही माहौल बनाने में जुट गए हैं.मगर, आखिरी फैसला सपा प्रमुख को करना है.

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सपा सभी जातियों पर कर चुकीं है प्रयोग

बरेली की शहर, कैंट विधानसभा सीट के साथ ही मेयर सीट पर सपा सभी जातियों के प्रत्याशी लड़ाकर प्रयोग कर चुकीं है.मगर, फेल साबित हुई.विधानसभा चुनाव में सपा ने बरेली शहर और कैंट में वैश्य प्रत्याशी लड़ाए थे, लेकिन अपने समाज केवोट भी नही ले पाए. सपा के पास यूपी में एक भी मेयर नहीं है.2017 के निकाय चुनाव में 16 नगर निगम में से 14 भाजपा, और 2 बसपा जीती थी.

रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली

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