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झारखंड में रोमन कैथोलिक चर्च का पहला महागिरजाघर है संत मरिया, आठ हजार रुपये में खरीदी गयी थी जमीन

संत मरिया महागिरजाघर (पुरुलिया रोड स्थित) पूरे झारखंड में रोमन कैथोलिक चर्च का पहला महागिरजाघर है. मनरेसा हाउस के सुपीरियर फादर सिल्वें ग्रोजां की इच्छा थी कि यहां का चर्च आरलों, बेल्जियम के गिरजाघर जैसा नजर आये.

संत मरिया महागिरजाघर (पुरुलिया रोड स्थित) पूरे झारखंड में रोमन कैथोलिक चर्च का पहला महागिरजाघर है. मनरेसा हाउस के सुपीरियर फादर सिल्वें ग्रोजां की इच्छा थी कि यहां का चर्च आरलों, बेल्जियम के गिरजाघर जैसा नजर आये. इसके लिए 1892 में ब्रदर ऑल्फ्रेड लेमोइन को रांची बुलाया गया, जो पेरिश के बंगलो, स्कूलों व गिरजाघरों के एक कुशल निर्माता थे. फादर अजय सोरेंग ने बताया कि ब्रदर लेमोइन ने इस कार्य के लिए स्थानीय युवाओं को राजमिस्त्री व बढ़ाई के काम के लिए प्रशिक्षित किया था. आर्चबिशप ब्राइस म्यूलमैन ने 20 मई 1906 को इसकी नींव रखी और तीन अक्तूबर 1909 को ढाका के बिशप हर्थ ने इसका संस्कार किया.

आठ हजार रुपये में खरीदी गयी थी जमीन

फादर अजय सोरेंग ने बताया कि 1873 में डोरंडा में पदस्थापित रोमन कैथोलिक फौजियों की आध्यात्मिक सेवा के लिए एक कैथोलिक पुरोहित रहते थे. फादर अलफ्रेड डी-कॉक डोरंडा डिपो में चैपलिन थे. वहीं, फादर मोटेटे बंदगांव में पेरिश प्रीस्ट थे. फादर ग्रोजां के निर्देश पर दोनों ने पुरुलिया रोड के दोनों तरफ स्थित विशाल कॉफी बागान 8000 रुपये में खरीदा. इसी जमीन के एक हिस्से में संत मरिया महागिरजाघर निर्मित है. जमीन खरीदने के बाद सबसे पहले यहां रहने के लिए 1886 में एक खपरैल घर ‘मनरेसा हाउस’ की नींव रखी गयी, जो 1887 में तैयार हुआ.

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रांची मिशन से हुआ है कई डायसिस का जन्म

साल 1947 में अंडमान निकोबार रांची डायसिस का हिस्सा बना. इससे 14 जून 1951 में संबलपुर और 13 दिसंबर 1951 को रायगढ़-अंबिकापुर डायसिस बनाये गये. दो जुलाई 1962 को रांची आर्चडासिस से जमशेदपुर डायसिस बनाया गया. 1968 में पटना, भागलपुर व बालासोर को रांची आर्चडायसिस के अधीन लाया गया था. 1971 में इससे डालटेनगंज डायसिस बना. 1980 में मुजफ्फरपुर डायसिस को रांची आर्चडायसिस का हिस्सा बनाया गया. एक जुलाई 1993 को इससे गुमला व सिमडेगा, 12 मई 1995 को खूंटी और 16 मार्च 1999 को हजारीबाग व पटना डायसिस बनाये गये हैं. दुमका डायसिस आठ अगस्त 1962 को बना था, जो पहले माल्दा अपोस्तोलिक परफेक्चर व कोलकाता आर्चडायसिस का हिस्सा था.

मनोज लकड़ा, रांची

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