विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन सोमवार को भाजपा और वाम दलों ने सारण में हुई जहरीली शराब से मौत को लेकर मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की है. नेताओं ने सदन के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया. वहीं, परिषद के बाहर भी नेताओं ने मुआवजा की मांग की. मुआवजा, शराब माफिया गिरोहों के राजनीतिक एवं प्रशासनिक संरक्षण की उच्चस्तरीय जांच की मांग को लेकर माले विधायक दल के नेता महबूब आलम के नेतृत्व में माले विधायकों ने पार्टी के नाम से हस्ताक्षरित मांगपत्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सौंपा.
मुख्यमंत्री ने माले प्रतिनिधिमंडल की मांगों को गंभीरता से सुना और उस पर काननू सम्मत कार्रवाई का आश्वासन दिया. आलम ने कहा कि हमारे नेताओं ने मुख्यमंत्री को शराबबंदी कानून के उस प्रावधान की याद दिलायी, जिसमें शराब के कारोबारियों की संपत्ति जब्त कर पीड़ित परिजनों को मुआवजा देने का प्रावधान है. हमने यह भी कहा कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. मरने वाले अधिकतर लोग गरीब व मजदूर पृष्ठभूमि से आते हैं. इसलिए महागठबंधन की सरकार को इस पर संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने माले प्रतिनिधिमंडल के तर्कों से सहमत हुए. भाकपा और माकपा के नेताओं ने भी शराबकांड पर प्रदर्शन किया. भाजपा नेता ने कहा कि सरकार मुआवजा देने की घोषणा जब तक नहीं करेगी , तब तक हम सदन नहीं चलने देंगे. राम सूरत राय ने कहा कि हर मरने वाले के परिजन को मुआवजा सरकार दे नहीं रही है, लेकिन जो लोग इस कांड से पीड़ित हैं,उन्हें धमकारया जा रहा है कि शराब का नाम लोगे, तो सभी जेल जाओगे.
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नितिन नवीन ने कहा कि मुआवजा नहीं देने पर पार्टी हर स्तर पर आंदोलन करेगी. दूसरी ओर, कृषि मंत्री ने कहा कि शराब के नाम पर विपक्ष सदन को नहीं चलने दे रहा है. जनता के सवालों पर चर्चा नहीं हो रही है. शराब से मरने पर मुआवजे का प्रावधान नहीं है. विधान परिषद के बाहर भी नेताओं ने मुआवजा और शराबकांड के दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है.