BRABU: सत्र नियमित करने के लिए ताबड़-तोड़ परीक्षा के दावे की बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में हवा निकल गयी है. स्थिति यह है कि स्नातक सत्र 2021-22 के प्रथम वर्ष के परीक्षार्थी लिखित परीक्षा देने के बाद महीनेभर से प्रायोगिक परीक्षा का इंतजार कर रहे थे. दिसंबर के पहले हफ्ते में प्रायोगिक परीक्षा के लिए विवि की ओर से शेड्यूल जारी किया गया, लेकिन परीक्षा शुरू होने से ठीक एक दिन पहले कॉलेजों के दबाव में स्थगित करना पड़ा. हफ्तेभर बाद भी अड़चन दूर नहीं हो सकी, जिस कारण नया शेड्यूल जारी नहीं हो सका है. छात्रों का कहना है कि प्रायोगिक परीक्षा में विलंब के कारण प्रथम वर्ष का रिजल्ट भी प्रभावित होगा.
स्नातक प्रथम वर्ष की परीक्षा (2022) में शामिल कला व विज्ञान वर्ग के विद्यार्थियों की प्रायोगिक परीक्षा होनी है. 15 नवंबर तक लिखित परीक्षा ली गयी है. इसके बाद उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन भी शुरू हो गया है. अब प्रायोगिक परीक्षा करानी है. आरडीएस कॉलेज के छात्र अमन कुमार ने बताया कि पहले से ही सत्र विलंब है. जून तक रिजल्ट जारी हो जाता, तो अब तक द्वितीय वर्ष की क्लास शुरू हो जाती. नवंबर में परीक्षा खत्म हो चुकी है. कहा गया था कि जनवरी तक रिजल्ट आ जायेगा, लेकिन अब तक प्रायोगिक परीक्षा ही नहीं हो सकी है.
कॉलेजों की खींचतान में कुछ घंटों में ही स्थगित करनी पड़ी परीक्षा
विवि की ओर से प्रायोगिक परीक्षा के लिए 9 से 16 दिसंबर तक का शेड्यूल बनाया गया था. सभी कॉलेजों के प्राचार्यों को परीक्षा लेकर 19 दिसंबर तक मार्क्स विश्वविद्यालय को भेजने के लिए कहा गया था. नौ दिसंबर से परीक्षा के लिए आठ दिसंबर को शाम को शेड्यूल जारी किया. कला वर्ग के छात्रों के लिए 59 और विज्ञान वर्ग के लिए 39 परीक्षा केंद्र बनाये गये थे. सभी केंद्रों पर विवि की ओर से एक्सटर्नल एग्जामिनर की नियुक्ति भी कर दी गयी. विवि सूत्रों की मानें, तो परीक्षा केंद्र बने कॉलेजों में आपसी सहमति नहीं बनने के कारण विरोध शुरू हो गया. कुछ कॉलेजों मनचाहा केंद्र चाह रहे थे, जिसके कारण देर शाम तक विवि की ओर से परीक्षा स्थगित करने का आदेश जारी कर दिया गया.
विवि की तैयारियों पर भारी पड़ रही कॉलेजों की मनमानी
राजभवन और सरकार के दबाव में विवि की ओर से सत्र नियमित करने के लिए तमाम उपाय किये जा रहे हैं, लेकिन उस पर कुछ कॉलेजों की मनमानी भारी पड़ रही है. स्नातक द्वितीय वर्ष परीक्षा सत्र 2019-22 का परिणाम भी कॉलेजों के कारण विलंब से जारी किया जा सका. प्रायोगिक परीक्षा के बाद करीब आधा दर्जन कॉलेजों ने समय से विश्वविद्यालय को मार्क्स नहीं भेजा. परीक्षा विभाग से रिमाइंडर भेजा गया, तब मार्क्स मिला और रिजल्ट तैयार करके जारी किया गया. अब प्रथम वर्ष में इसी तरह मनमानी की गयी, तो रिजल्ट में विलंब होगा.