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तमिलनाडु में उदयनिधि को मंत्री बनाने के मायने

स्टालिन की रणनीति पार्टी, सरकार और परिवार में शक्ति केंद्र की स्थिति को स्पष्ट करने की है. वरिष्ठ मंत्रियों में आपसी मनमुटाव है. अपने पिता से विपरीत स्टालिन बड़बोले मंत्रियों पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं

तमिलनाडु सरकार में उदयनिधि स्टालिन को शामिल करना इंगित करता है कि न केवल द्रमुक के भीतर, बल्कि पार्टी प्रमुख के परिवार में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को अपनी बहन कनिमोझी की नाराजगी को दूर करना होगा. इससे यह भी संकेत मिलता है कि 2024 में 38 लोकसभा सीटों की बड़ी जीत को दोहराने के लिए पार्टी को बहुत मेहनत करनी होगी. उससे पहले एक ठोस राजनीतिक संदेश जरूर दिया गया है. इससे द्रमुक के संगठन में ऊर्जा आयेगी. सवाल यह है कि अभी क्यों उदयनिधि को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है?

क्या यह डेढ़ साल पुरानी सरकार की छवि चमकाने की कोशिश है? पार्टी के भीतर बहुत तनातनी चल रही है. नौकरशाही का पूरा सहयोग भी नहीं मिल रहा है. द्रमुक को अंदेशा है कि अधिकारियों पर अन्नाद्रमुक का गहरा प्रभाव है. राज्य में पदस्थ उत्तर भारतीय अधिकारी भी अड़चन डालते हैं. स्टालिन के लिए राज्यपाल आरएन रवि की सक्रियता भी बड़ा सिरदर्द है. सरकार के बरक्स राज्यपाल हिंदुत्व समर्थक भाषणों तथा केंद्र सरकार के प्रति झुकाव से एक समानांतर आख्यान बना रहे हैं. तमिलनाडु विधानसभा के अनेक निर्णयों को राजपाल स्वीकृत नहीं कर रहे हैं. इन कारकों के चलते स्टालिन को अपने बेटे को शामिल करने के साथ मंत्रिपरिषद में फेर-बदल करना पड़ा है.

पहली बार विधायक बने उदयनिधि को युवा एवं खेल विकास तथा विशेष कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय दिये गये हैं. क्या वे अगले साल के बजट की तैयारी में हिस्सा लेंगे या विधानसभा में वरिष्ठ मंत्रियों की ओर से सवालों के जवाब देंगे? युवाओं में नरेंद्र मोदी के लिए आकर्षण है तथा राज्य की मीडिया भाजपा को महत्व दे रही है, इसलिए युवाओं को द्रमुक के पाले में लाने के इरादे से उदयनिधि को सरकार में शामिल किया गया है. साथ ही, विधि-व्यवस्था, कोयंबटूर विस्फोट आदि से जुड़े मामलों ने भी सरकार में फेर-बदल की स्थिति पैदा की.

स्टालिन की रणनीति पार्टी, सरकार और परिवार में शक्ति केंद्र की स्थिति को स्पष्ट करने की है. वरिष्ठ मंत्रियों में आपसी मनमुटाव है. अपने पिता से विपरीत स्टालिन बड़बोले मंत्रियों पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं. हाल में हुई पार्टी की उच्च स्तरीय बैठक में उन्होंने कहा कि नेताओं की आपसी तनातनी के चलते उन्हें ठीक से नींद नहीं आती और उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है. तमिलनाडु सरकार की भी वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है.

महिलाओं को वित्तीय सहायता देने तथा पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने के अपने वादों को स्टालिन पूरा नहीं कर पाये हैं. परिवार में सबरीसन के रूप में रॉबर्ट वाड्रा की तरह एक ‘दामाद श्री’ भी हैं, जिन्हें अफसरशाही, पार्टी कार्यकर्ताओं और करुणानिधि परिवार द्वारा बहुत महत्व दिया जाता है. व्यंग में एक टिप्पणीकार ने कहा कि दामाद श्री के जरिये स्टालिन ने एकल खिड़की प्रणाली की प्रभावी व्यवस्था कर दी है. यूट्यूब के कुछ तमिल चैनल यह भी संकेत करते हैं कि परिवार में कनिमोझी को किनारे किया जा रहा है.

वे करुणानिधि की दूसरी पत्नी की संतान हैं. उनके जन्मदिन पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विशेष रूप से फोन कर बधाई दी है. उदयनिधि को मंत्री बनाये जाने को टीआर बालु, जगतरक्षकन, ए राजा, पलानिमणिक्कम जैसे असंतुष्ट पुराने नेताओं के बीच संतुलन बनाने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है. कई सारे पार्टी सांसद स्टालिन के बजाय उदयनिधि के प्रति समर्पित माने जाते हैं. इस तरह से 2019 में उम्मीदवार तय किये गये थे.

विधानसभा चुनाव में भी उदयनिधि की पसंद के अनुसार टिकट बांटे गये. केंद्र सरकार के प्रति स्टालिन का रवैया, खास कर गुजरात चुनाव के बाद, भी खासा दिलचस्प है. वे नरेंद्र मोदी को क्षुब्ध करना नहीं चाहते हैं. द्रमुक के सहयोगी दल भी उसके लिए चिंताएं खड़ी कर रहे हैं. स्टालिन संतुलित राजनीति साधना चाहते हैं. प्रधानमंत्री मोदी से उनकी दो बार मुलाकात कुछ अजीब-सी बात है. दोनों नेताओं की बातचीत के बाद से भाजपा पर द्रमुक के आक्रामक हमले बंद हो गये है और चुप्पी-सी है. पहले द्रमुक के नेता कहा करते थे कि तमिलनाडु में भाजपा ऑक्टोपस की तरह अपने पैर पसारती जा रही है.

ऐसे दो बड़े कारक हैं, जिन्होंने तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक गठबंधन के लिए परेशानी पैदा कर दी. इनमें एक यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के सात आरोपियों को रिहा कर दिया और उसके बाद कांग्रेस इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट पहुंची तथा उसने केंद्र सरकार से इस निर्णय का प्रतिकार करने को कहा. दूसरा मसला आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण से संबद्ध है. इसको लेकर कांग्रेस में विरोधाभासी विचार हैं, जबकि द्रमुक इसके पूरी तरह खिलाफ है.

सुप्रीम कोर्ट ने भी इस आरक्षण व्यवस्था पर मुहर लगा दी है. बहरहाल, उदयनिधि को मंत्रिमंडल में शामिल करने के फायदे और नुकसान, दोनों हैं. पिता की सरकार में पुत्र को सम्मिलित करने से भारतीय जनता पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर यह प्रचार करने का राजनीतिक चारा मिल गया है कि क्षेत्रीय दलों में ‘घोर परिवारवाद’ जारी है.

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