पटना. बिहार के नये डीजीपी राजविंदर सिंह भट्टी यानी आरएस भट्टी बेपटरी हो चुके लॉ एंड ऑडर को पटरी पर लाने के एक्सपर्ट हैं. 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी आरएस भट्टी को 2005 में हुए विधानसभा चुनाव के वक्त भी विशेष तौर पर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से बिहार वापस लाया गया था. सख्त मिजाज और काम के प्रति बेहद ईमानदार आरएस भट्टी एक कड़क अधिकारी के तौर पर जाने जाते हैं. आरएस भट्टी उन चंद अधिकारियों में से हैं जिनसे बड़े-बड़े रंगबाज, अपराधियों, बाहुबली नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के वक्त थोड़ी सी भी हिचकिचाहट नहीं दिखाते हैं. मोहम्मद शहाबुद्दीन जैसे ताकतवर और प्रभुनाथ सिंह जैसे प्रभावशाली नेता के खिलाफ भी कार्रवाई करते वक्त आरएस भट्टी किसी के आगे नहीं झुके थे.
आरएस भट्टी ने शहाबुद्दीन, प्रभुनाथ सिंह, दिलीप कुमार सिंह जैसे ताकतवर लोगों को सलाखों के पीछे भेजने का काम किया है. भागलपुर और पटना में भी उनके किये ऑपरेशन काफी चर्चित रहे हैं. यही कारण रहा कि 2005 में विधानसभा चुनाव के वक्त उन्हें विशेष तौर पर बिहार वापस लाया गया था. सीवान में एसएसपी सह डीआईजी के रूप में पदस्थापना के बाद सबसे पहले उन्होंने बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करने किए विशेष योजना तैयार की. कहा जाता है कि उस वक्त राजनीतिक दबाव की वजह से आरएस भट्टी का केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया था, लेकिन वे कभी भी बाहुबली नेता या राजनीतिक दबाव के आगे नहीं झुके.
शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी के तैयार हुए ऑपरेशन के मास्टरमाइंड आरएस भट्टी ही थे. आरएस भट्टी की ही योजना थी कि शहाबुद्दीन को बड़े मामले में नहीं बल्कि किसी छोटे मामले में गिरफ्तार कर सजा दिलायी जाये. ऐसे में बिजली चोरी के मामले में पांच सदस्यों की टीम बनाकर शहाबुद्दीन के दिल्ली निवास से उनकी गिरफ्तारी का ब्लू प्रिंट तैयार हुआ. एक महिला सब इंस्पेक्टर गौरी कुमारी को आगे करके यह पूरा ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया गया.
उस समय दिल्ली से पटना ट्रेन या सड़क मार्ग के माध्यम से नहीं, बल्कि शहाबुद्दीन को स्पेशल हेलीकॉप्टर से लाने का प्लान भी भट्टी का ही था. कहा जाता है कि उस वक्त अगर शहाबुद्दीन को लेकर बिहार पुलिस ट्रेन या गाड़ी से बिहार आती, तो एक बड़ी साजिश को अंजाम तक पहुंचा दिया जाता. जो आज भी पुलिस की तफ्तीश रिपोर्ट में दर्ज है. उस वक्त शहाबुद्दीन लालू प्रसाद यादव के बेहद खास माने जाते थे.