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शराब कांड में मुआवजे पर उपेंद्र कुशवाहा की दो टूक, कहा- प्रतिबंधित शराब के सेवन से हुई मौत पर कैसी मदद

सरकार और सत्तारूढ दल के नेताओं का कहना है कि प्रतिबंधित शराब का सेवन करना ही एक गुनाह है, ऊपर से बार बार सरकार के स्तर से यह कहा जा रहा है कि शराब जहर है, इसके बावजूद लोग इसका सेवन कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें मुआवजा क्यों दिया जाये.

पटना. बिहार में जहरीली शराब से हो रही मौत पर सरकार की ओर से मुआवजा देने की मांग को लेकर पक्ष और विपक्ष में सदन से सड़क तक हंगामा मचा हुआ है. विपक्ष जहां इसे सरकार की विफलता मान मुआवजे की मांग कर रही है, वहीं सरकार और सत्तारूढ दल के नेताओं का कहना है कि प्रतिबंधित शराब का सेवन करना ही एक गुनाह है, ऊपर से बार बार सरकार के स्तर से यह कहा जा रहा है कि शराब जहर है, इसके बावजूद लोग इसका सेवन कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें मुआवजा क्यों दिया जाये. मालूम हो कि छपरा में जहरीली शराब के कारण 80 लोगों की मौत हो गई.

शराब पीकर मरनेवालों को कोई आर्थिक मदद नहीं मिलेगी

जहरीली शराब से हुई मौत पर मुआवजा देने की मांग पर सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद बयान देकर साफ कर दिया है कि जो पीएगा वो मरेगा किसी को कोई मुयाबजा नहीं मिलेगा. शराब पीकर मरनेवालों को कोई आर्थिक मदद नहीं मिलेगी. इसी कड़ी में जब जदयू संसदीय बोर्ड के नेता उपेंद्र कुशवाहा से रविवार को सवाल किया गया तो उन्होंने अलग ही अंदाज में जवाब दिया. कुशवाहा ने कहा कि अवैध काम करने के दौरान हुई मौत पर मुआवजा का कोई प्रावधान कैसे हो सकता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कोई यदि अवैध रूप से बम बनाने का काम कर रहा है और विस्फोट हो जाये और उसमें बम बनानेवालों की मौत हो जाये, तो इसके लिए सरकार तो जिम्मेदार नहीं हो सकती है न. जब सरकार जिम्मेदार नहीं है तो मुआवजा किस बात की मांग रहे हैं.

विपक्ष के लोग जो कर रहे हैं वो कहीं से भी उचित नहीं

कुशवाहा ने कहा कि विपक्ष का काम सिर्फ और सिर्फ विरोध के लिए विरोध करना है. आज जिस तरह से विपक्ष के लोग कर रहे हैं वो कहीं से भी उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि शराब में जहर है तो लोगों को उससे दूर रहने, उसका सेवन नहीं करने के लिए जागरूक करना चाहिए. विपक्ष के नेताओं को व्यक्तिगत कोई भी बात नहीं करनी चाहिए. मैं बिहार विधानसभा और परिषद् दोनों के नेता विपक्ष को साफ़ तौर पर कहना चाहता हूं कि, कोई भी बात व्यक्तिगत रूप से नहीं कहें. कोई कानून तभी सदन से पास होता है जब सदन में उसे बहुमत से पास कराया जाता है.

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