सतीश कुमार
दरभंगा नौकरी लेने की जगह नौकरी देने का कॉन्सेप्ट युवाओं को रास आने लगा है. भारी-भरकम सैलरी पैकेज की योग्यता रखते हुए वे खुद नौकरी देने वाले बन रहे हैं. दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज से पास आउट मो. गुलफराज एक ऐसा ही नाम है. इंजीनियरिंग करने के बाद गुलफराज ने नौकरी नहीं कर स्टार्टअप शुरू किया. वह भी मिथिला की खास पहचान मखाना को लेकर. उनकी कंपनी द्वारा तैयार रोस्टेड मखाना बच्चों, युवाओं व बुजुर्गों को काफी भा रहा है. विभिन्न स्वाद में 10 व 20 रुपये के पैकेट में रोस्टेड मखाना मिथिला से मुंबई तक पहुंच चुका है. मरीन ड्राइव पर स्टॉल लगाकर मुंबई के लोगों को गुलफराज मखाना का स्वाद चखा रहे हैं. स्टॉल पर आने वाले लोग बिना खरीदे वापस नहीं होते. उत्पाद का टैगलाइन ही है ‘स्वाद भी सेहत भी’.
वैसे तो गुलफराज ने सितंबर 2019 में अपना स्टार्टअप शुरू किया, पर लॉकडाउन में बिजनेस ठप पड़ गया. लॉकडाउन के बाद नये सिरे से शुरुआत की और अक्तूबर 2022 में मखाना स्नैक्स का ऑटोमेटिक प्लांट स्थापित किया. नेशनल मखाना उद्योग के नाम से फार्म पंजीकरण किया. बाजार में स्नैक्स के ऑप्शन के तौर पर मखाना स्नैक्स के लिए 35 लाख रुपये में ऑटोमेटिक प्लांट लगाया व मोसो नाम से अपना ब्रांड बनाया. मखाना को रोस्ट कर फ्लेवर के साथ ऑटोमैटिक मशीन से पैकिंग कर बाजार में उतार दिया. ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन मार्केटिंग धीरे-धीरे परवान चढ़ रही है.
गुलफराज ने बताया कि इंजीनियरिंग करने के बाद हर घर वालों का सपना होता है कि बेटा अच्छी जगह नौकरी करे. उनके परिवार वालों का भी यही कहना था. शुरू में तो समझना मुश्किल था, लेकिन समझाने के बाद घर वालों को मनाने में वे कामयाब हो गये. गुलफराज ने कहा कि शुरू से ही उनका ध्येय नौकरी करना नहीं, नौकरी देना था. इसमें वे कामयाब हो रहे हैं. वर्तमान में 14 लोग उनकी कंपनी में काम करते हैं. उन्होंने बताया कि अन्य स्नैक्स की जगह मखाना स्नैक्स को ऑप्शन में मात्र 10 रुपये में लोगों के मनपसंद स्वाद में उपलब्ध कराना व ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार देना उनका उद्देश्य है.
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व्यवसाय शुरू करने के लिए गुलफराज ने मुख्यमंत्री उद्यमी योजना व भारतीय स्टेट बैंक से पैसे की व्यवस्था की. पांच-छह रुपये लाख से शुरू कारोबार का टर्नओवर करोड़ तक पहुंचाने में कामयाब हो गये हैं. किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले मो. गुलफराज ने कंप्यूटर साइंस व इंजीनियरिंग से बीटेक किया है. इसका फायदा उन्हें डिजिटल मार्केटिंग में मिल रहा है. डिजिटल मार्केटिंग के माध्यम से वे देश के लगभग सभी राज्यों में मखाना की बिक्री करने लगे हैं. वे कटिहार जिले के कोढ़ा प्रखंड के चरखी गांव निवासी मो. सुलेमान व साबिया खातून के पुत्र हैं.
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स्टॉल लगाकर 10 व 20 रुपये के पैकेट में बेच रहे रोस्टेड मखाना
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इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर शुरू किया अपना स्टार्टअप
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मखाना स्नैक्स का स्थापित किया ऑटोमेटिक प्लांट
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जगह-जगह स्टॉल लगा कर लोगों को दे रहे उत्पाद की जानकारी
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ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से कर रहे मार्केटिंग