झारखंड के युवा फिल्मकार निरंजन कुजूर की कुडुख भाषा में बनी फिल्म ‘एड़पा काना’ को नॉन फीचर फिल्म कैटेगरी में बेस्ट ऑडियोग्राफी के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने इस फिल्म के बारे में खुलकर बातचीत की और बताया कि इसे बनाने का विचार उनके दिमाग में कैसे आया? इस फिल्म में उन्होंने क्या अलग दिखाने की कोशिश की है. लोहरदगा जिले के रहनेवाले निरंजन कुजूर (32 वर्षीय) डायरेक्टर और पटकथा लेखक हैं. अब तक कुड़ुख, हिंदी, चीनी और संताली भाषाओं में काम कर चुके है़ं. उन्हें डॉक्टर बनने का शौक था और दो साल तैयारी भी की लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. इसके बाद उन्होंने मास कम्युनेशन किया. इस दौरान फिल्म मेकिंग में मन रमने लगा. उस समय जानकारी नहीं थी कि हॉलीवुड (अंग्रेजी) और बॉलीवुड (हिंदी) के अलावा भी दूसरी भाषाओं में फिल्में बनती है. इसके बाद कई क्षेत्रीय भाषा की फिल्म देखी. उन्हें अपनी मातृभाषा कुडूख में फिल्म बनाने का ख्याल आया.
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राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित एड़पा काना के निर्देशक निरंजन कुजूर से खास बातचीत, क्यों अलग है ये फिल्म
झारखंड के युवा फिल्मकार निरंजन कुजूर की कुडुख भाषा में बनी फिल्म ‘एड़पा काना’ को नॉन फीचर फिल्म कैटेगरी में बेस्ट ऑडियोग्राफी के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने इस फिल्म के बारे में खुलकर बातचीत की और बताया कि इसे बनाने का विचार उनके दिमाग में कैसे आया?
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