सर्द मौसम में हिमाचल की गोद में फैली झीलों का नीला-हरा पानी पर्यटकों को कुछ अलग आनंद देने के लिए बुलाता है. इस बरस बरसे मेघों ने गोबिंदसागर को लबालब कर दिया है. पंजाब के आनंदपुर साहिब से 83 किलोमीटर दूर बसे बिलासपुर को इस झील के किनारे बसे सुंदर स्थलों में गिना जाता है. जब भाखड़ा बांध का निर्माण हुआ, तो पुराने बिलासपुर शहर को जल समाधि देनी पड़ी और भारत की संभवत सबसे बड़ी मानव निर्मित लगभग 170 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली खूबसूरत झील गोबिंदसागर का जन्म हुआ. पहाड़ी रास्ते पर यात्रा के दौरान हरे-नीले पानी के लुभावने टुकड़े कभी दिखते हैं, तो कभी छिपते हैं, मगर खूब लुभाते हैं.
गोबिंदसागर भरपूर आबाद है. विशाल क्षेत्र में बसे दर्जनों गांव भी गोबिंदसागर में पानी लौट आने से नये ढंग से आबाद होते हैं. पैदल लिसलिसी धूल रेत मिट्टी से भरे रास्ते जलमार्ग हो जाते हैं. हजारों क्षेत्रवासियों का आवागमन इन जलमार्गों से होने लगता है. पुरानी किश्तियां पुनः संवारी जाती हैं और नयी बनायी जाती हैं. इसी पानी पर तैरती नावें यात्रियों को भाखड़ा, नैनादेवी, कंदरौर तक या उससे आगे भी ले जाती हैं.
सतलुज नदी से बने गोबिंदसागर की गहरी गोद में पसरा जल सुबह से शाम तक कितने ही रंग बदलता है. आसपास फैली चोटियों पर जाकर दूर-दूर तक फैली सुंदरता का मजा लिया जा सकता है. बिलासपुर बंदला सड़क भी लुभावना रास्ता है. शाम होते और रात के समय बस्तियों की रोशनियां ठहरे पानी को रहस्यमय बना देती हैं. अली खड्ड पुल के कारण झील के पड़ोस में एक और आकर्षण जुड़ गया है. गोबिंदसागर झील में आते-जाते विशेषकर बच्चों को बहुत दूर से ही यह पुल लुभाने लगता है. लारियां आती जाती हैं और पुल थरथराता रहता है.
पुराने बिलासपुर शहर में सातवीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी के बीच बने शिखर शैली के मंदिर गोबिंदसागर के निर्माण की पनीली गोद में समा चुके हैं. जब पानी उतरता है, मंदिर के उपरी हिस्से दिखने लगते हैं. इन्हीं मंदिरों के कलात्मक सानिध्य में अनेक पिकनिक प्रेमी रात का खाना एंजॉय करते हैं, तो उनकी रात अविस्मरणीय स्वादिष्ट अनुभव हो जाती है. देश के पुरातत्व विभाग ने एक दर्जन से भी ज्यादा मंदिरों के पुनरोद्धार की योजना बनायी है. यदि यह योजना सफलता से संपन्न हो जाती है, तो इतिहास के ये नमूने गोबिंदसागर के गर्भ से नया जन्म लेंगे.
यदि आप बिलासपुर में ठहरना चाहें, तो रुकने के लिए हिमाचल पर्यटन के होटल के अलावा अनेक प्राइवेट आरामगाहें भी हैं. गोबिंदसागर घूमने के बाद चाहें, तो वाहन से उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध शक्तिस्थल नैनादेवी भी जा सकते हैं. समय हो, तो अड़ोस-पड़ोस के किले, मंदिर व अन्य खूबसूरत जगहें भी देखी जा सकती हैं. यहां की रूपहली सुबह और सुनहरी शाम गोबिंदसागर के सौंदर्य में गजब का निखार ले आती है. नीले पानी से लबालब गोबिंदसागर का यौवन पर्यटन प्रेमियों को बुला रहा है.