Jharkhand News: जिन आंदोलनकारियों की बदौलत झारखंड अलग हुआ, उन आंदोलनकारियों को वर्तमान सरकार भूल गयी है. आज इस राज्य में सबसे अधिक हाशिए पर राज्य के आंदोलनकारी ही हैं. उक्त बातें पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने शनिवार को बिहार क्लब में कही. वे झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा के केंद्रीय समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे. महतो ने कहा कि झामुमो में जब तक गुरुजी का राज रहा, उनके आसपास हमेशा ऐसे लोग रहे, जो झारखंड हित को सर्वोपरि मानते थे. आज हालत यह हो गयी है कि सारे झारखंड विरोधी लोग सत्ता शीर्ष पर बैठे हुए हैं. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि यह सरकार आंदोलनकारियों की मांगों को लेकर कितनी गंभीर है. श्री महतो ने कहा कि अगर सरकार 26 जनवरी 2023 तक आंदोलनकारियों की मांगों को पूरा नहीं करती है, तो फिर 26 फरवरी को एक और उलगुलान की घोषणा की जायेगी. इस बार सरकार से ही आर-पार की लड़ाई लड़ी जायेगी.
आंदोलनकारी शफीक आलम ने कहा कि राज्य के आंदोलन में सभी आंदोलनकारियों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया है. कोई जेल गया, तो किसी ने बाहर से ही आंदोलन में साथ दिया. ऐसे में सरकार आंदोलनकारी मानने के लिए जेल जाने की बाध्यता खत्म करे. शफीक आलम ने कहा कि आंदोलनकारी आयोग में चम्मचों का मजमा लगा हुआ है. यहां हर काम के लिए वसूली हो रही है. नतीजा आंदोलनकारी आज आयोग जाने से घबरा रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार अनुज कुमार सिन्हा ने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि आज राज्य गठन के 22 साल बाद भी अगर आंदोलनकारियों को चिह्नित नहीं किया जा सका है, तो और कितने दिनों में इनको चिह्नित करने का काम पूरा होगा.
यही रफ्तार रही, तो अगले 10-20 सालों में सारे आंदोलनकारी ही मर कर खत्म हो जायेंगे. आज यह सुनकर बहुत दुख हो रहा है कि आंदोलनकारी दर-दर की ठोकरें खाने को विवश हैं. वे अपना इलाज तक नहीं करवा रहे हैं. ऐसे में सरकार इन आंदोलनकारियों के लिए हेल्थ कार्ड की व्यवस्था कराये, ताकि कहीं भी वे अपना इलाज करवा सकें. कार्यक्रम को प्रवीण प्रभाकर, विमल कच्छप, मानकी जगरनाथ मुंडा, नवीन चंचल, सुशीला एक्का, पत्रकार किसलय, प्रमोद झा सहित कई गणमान्य लोगों ने संबोधित किया.
बैठक में मोर्चा के संयोजक मुमताज अहमद खान ने 11 सूत्री प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया. सभी प्रस्तावों पर मंजूरी के लिए राज्य सरकार को 26 जनवरी तक का डेडलाइन दिया गया.
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राज्य सरकार आंदोलनकारियों को सम्मान राशि दे, शहीदों के आश्रित को नौकरी, मुआवजा व इलाज की व्यवस्था कराये.
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26 जनवरी 2023 को सभी चिह्नित आंदोलनकारियों को ताम्रपत्र प्रदान करते हुए सम्मानित किया जाये. सभी को परिचय पत्र व प्रमाण पत्र दिया जाये.
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आंदोलनकारियों के आश्रितों को तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय पदों पर पांच प्रतिशत आरक्षण देते हुए सभी नियुक्तियों में अविलंब बहाल हो.
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शहीदों के नाम से स्मारक स्थापित किये जायें. उनके नाम पर संस्थान, विवि, स्कूल, कॉलेज, सड़क व चौक-चौराहों का नामकरण हो.
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सभी आंदोलनकारियों को कम से कम 20 हजार प्रतिमाह सम्मान राशि दी जाये. बकाये पेंशन का अविलंब भुगतान किया जाये.
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पाठ्यक्रम में आंदोलनकारियों की संघर्ष गाथा को शामिल किया जाये. साथ ही उन्हें 20 सूत्री, निगरानी समिति व विभिन्न आयोग का सदस्य बनाया जाये.
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बॉडीगार्ड क्यों हटाया, समझ से परे पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने कहा कि मेरा, कृष्णा मार्डी, आभा महतो, सूर्य सिंह बेसरा सभी को बॉडीगार्ड मिला हुआ था. सभी आंदोलनकारी हैं. आज तक हमलोगों का बॉडीगार्ड कभी नहीं हटा. लेकिन वर्तमान सरकार ने हम सबों का बॉडीगार्ड हटा दिया. बॉडीगार्ड क्यों हटाया, यह समझ से परे है.