बिहार ने केंद्र से राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति पर जल्द ठोस फैसला लेने को कहा है. शनिवार को कोलकाता में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई पूर्वी क्षेत्र परिषद की बैठक में बिहार सरकार की ओर से कहा गया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2017 में ही गंगा एवं उसकी सहायक नदियों में गाद की समस्या को हल करने के लिए भारत सरकार से राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति तैयार करने का अनुरोध किया था. बिहार सरकार ने गाद के व्यावसायिक उपयोग की परिकल्पना की है. राज्य सरकार ने कई ठोस कदम उठाये भी हैं.
बिहार की ओर से बैठक में शामिल उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने केंद्रीय गृह मंत्री को जानकारी दी कि गाद प्रबंधन नीति प्रारूप पर राज्य सरकार अपना मंतव्य भारत सरकार को भेज चुकी है. इस नीति को जल्द अंतिम रूप दिया जाये. महानंदा सिंचाई योजना के तहत किशनगंज जिला के 67 हजार एकड़ भूमि की सिंचाई के लिए पश्चिम बंगाल क्षेत्र में आठ किमी लंबी लिंक माइनर नहर के निर्माण का वहन करने की प्रतिबद्धता भी दिखायी.
डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव ने राज्य की चिंताओं से गृह मंत्री को अवगत कराया. राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति के मुद्दे पर चर्चा के दौरान केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों को बताया गया कि पश्चिम बंगाल सरकार के तीस वर्षों के फुलबारी बांध में जल की उपलब्धता संबंधी आंकड़ों के अध्ययन से पता चला है कि बांध में जल की कमी नहीं है.
इसी आधार पर बिहार ने पश्चिम बंगाल राज्य से फुलबारी बांध में आवश्यकता से अधिक जल को साझा करने एवं पश्चिम बंगाल के अंतर्गत पाइप लाइन के निर्माण के प्रस्ताव पर सहमति देने अनुरोध किया है. इससे पश्चिम बंगाल में भूमि उपयोग की समस्या को कम किया जा सकेगा. राज्य सरकार भूमिगत पाइप लाइन के निर्माण का सारा खर्च वहन करेगी. बैठक में निर्णय लिया गया दोनों राज्य एक संयुक्त समिति गठित करेंगे, जो समस्या का हल निकालेगी.
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झारखंड राज्य के साथ पेंशन देनदारी एवं हाउसिंग बोर्ड के लंबित मामले, पॉक्सो अधिनियम के तहत मामलों की जांच, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण मिशन के कार्यान्वयन पर भी चर्चा की गयी. बिहार के प्रतिनिधि मंडल में मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, अपर मुख्य सचिव, गृह चैतन्य प्रसाद भी शामिल हुए.