48th GST Council Meeting: जीएसटी काउंसिल की 48वीं बैठक शनिवार सुबह 11 बजे से वर्चुअल मोड में शुरू हो गई है. इससे पहले, वित्त मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा कि जीएसटी परिषद की 48वीं बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ऑनलाइन ढंग से करेंगी. इस बैठक में वित्त राज्य मंत्रियों के अलावा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्री और केंद्र सरकार तथा राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं.
जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी कानून के तहत गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने पर विचार होने की संभावना है. बैठक के एजेंडे में अपीलीय न्यायाधिकरणों की स्थापना और पान मसाला एवं गुटखा व्यवसायों में कर चोरी को रोकने की व्यवस्था बनाना भी शामिल है. इसके साथ ही ऑनलाइन गेमिंग और कसीनो पर जीएसटी को लेकर विचार-विमर्श भी किया जा सकता है. मेघालय के सीएम कोनराड संगमा की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह (GoM) ने इस मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सौंप दी थी. इस बैठक में कर अधिकारियों की एक रिपोर्ट पर भी विचार किया जाएगा और कुछ वस्तुओं एवं सेवाओं पर लागू जीएसटी दर को स्पष्ट करने की कोशिश की जाएगी.
जीएसटी कानून के तहत की जाने वाली गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के संबंध में जीएसटी परिषद की कानून समिति ने मुकदमा शुरू करने के लिए मौद्रिक सीमा बढ़ाने का सुझाव दिया है. कानून समिति ने यह सुझाव भी दिया है कि जीएसटी के तहत गड़बड़ियों के लिए करदाताओं द्वारा देय शुल्क को घटाकर कर राशि के 25 प्रतिशत तक किया जाए, जो इस समय 150 प्रतिशत तक है. इसी तरह आपराधिक मामलों के तहत मुकदमा चलाने के लिए वर्तमान 5 करोड़ रुपये की सीमा को बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये करने का सुझाव दिया गया है.
सूत्रों ने कहा कि पान मसाला और गुटखा कंपनियों द्वारा की जाने वाली कर चोरी पर तैयार जीओएम की रिपोर्ट पर इस बैठक में चर्चा होने की संभावना है. माल और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण के गठन के संबंध में जीओएम ने सुझाव दिया है कि इसमें दो न्यायिक सदस्य, केंद्र तथा राज्यों के एक-एक तकनीकी सदस्य के साथ ही अध्यक्ष के रूप में उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश होने चाहिए. बता दें कि ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो और घुड़दौड़ पर कर लगाने के संबंध में जीओएम ने नवंबर में अपनी पिछली बैठक में 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने पर सहमति जताई थी. हालांकि, आम सहमति के अभाव में इस पर फैसले को टाल दिया गया था.
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