सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया है. बानो ने सामूहिक बलात्कार मामले के 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती दी थी. उन्होंने अपनी याचिका में रिहाई के आदेश की समीक्षा करने का अनुरोध किया था.
गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों की सजा माफ कर दी थी
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से 9 जुलाई 1992 की नीति के तहत दोषियों की समय से पूर्व रिहाई की मांग वाली याचिका पर दो महीने के भीतर विचार करने को कहा था. गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों की सजा माफ करते हुए उन्हें 15 अगस्त को रिहा कर दिया था.
Supreme Court dismisses the plea of Bilkis Bano seeking review of its earlier order by which it had asked the Gujarat government to consider the plea for the remission of convicts under 1992 policy. pic.twitter.com/5NAGg9mvvl
— ANI (@ANI) December 17, 2022
2002 गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई थीं बिलकिस बानो
बिलकिस बानो 2002 दंगों के दौरान बलात्कार की शिकार हुई थीं और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. बानो ने पुनरीक्षण याचिका के अलावा दोषियों की सजा माफ किए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए एक अलग याचिका दायर की थी.
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जो गलत है, उसके खिलाफ फिर लड़ूंगी : बिलकिस बानो
11 दोषियों की रिहाई के बाद बिलकिस बानो ने इससे पहले कहा था, जो गलत है और जो सही है, उसके लिए मैं फिर से लड़ूंगी. उन्होंने कहा, एक बार फिर खड़े होने और न्याय के दरवाजे पर दस्तक देने का फैसला मेरे लिए आसान नहीं था. मेरे पूरे परिवार और मेरा जीवन नष्ट करने वाले लोगों की रिहाई के बाद, मैं लंबे समय तक स्तब्ध थी. मैं अपने बच्चों, अपनी बेटियों, और सबसे बढ़कर उम्मीद खत्म होने से जड़ हो गई थी. बानो ने कहा कि उनकी चुप्पी दौरान उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों से समर्थन की आवाजें मिलीं, जिनसे उन्हें उम्मीद जगी है, और उन्हें एहसास कराया गया कि वह अपनी पीड़ा में अकेली नहीं हैं. उन्होंने कहा, इसलिए, मैं एक बार फिर खड़ी होकर लड़ूंगी, जो गलत है और जो सही है, उसके खिलाफ. मैं आज अपने लिए, अपने बच्चों के लिए और हर जगह की महिलाओं के लिए ऐसा कर रही हूं.