अंबर, पटना: बच्चों की सबसे पसंदीदा चीजों में उनके खिलौने का स्थान सबसे ऊपर होता है. सरकार की ओर से लागू की गयी नयी शिक्षा नीति में पढ़ाई को इंटरेक्टिव बनाने के लिए खेल-खेल में पढ़ाने की बातों पर जोर दिया गया है.
इसके तहत नये सत्र से प्राइमरी सेक्शन यानी एलकेजी से 5वीं कक्षा के बच्चों को खिलौने और टेक्नोलॉजी की मदद से पढ़ाने की शुरुआत की जायेगी. किताब से पढ़ाने के बाद बच्चों को खिलौने और टेक्नोलॉजी की मदद से उन्हें अल्फाबेट, भाषा, उच्चारण आदि सिखाया जायेगा. स्कूल प्रबंधकों ने कहा कि बच्चों को खेल-खेल में नयी चीजें सिखाने से शिक्षा में गुणवत्ता और उत्कृष्टता बढ़ेगी. शहर के सीबीएसइ स्कूलों में नये सत्र से इसकी शुरुआत की जा रही है.
पढाई को इंटरेक्टिव बनाने के लिए विभिन्न चित्रों और कलाकृतियों का भी इस्तेमाल किया जायेगा. इसके लिए स्कूल के फाइन आर्ट के शिक्षक बच्चों के सिलेबस से जुड़े चित्र और कलाकृतियों को तैयार कर बच्चों को पढ़ाई से जोड़ने का प्रयास करेंगे ताकि बच्चों का इंट्रेस्ट बढ़े और वह तथ्यों को आसानी से समझ सकें. वहीं प्राइमरी शिक्षकों को भी पढ़ाई को इंटरेक्टिव बनाने के लिए ट्रेनिंग दी गयी है.
कक्षा तीन से पांचवी के बच्चों को शब्दों के सटीक उच्चारण के लिए स्मार्ट क्लास आयोजित करायी जायेगी. इसमें नयी टेक्नोलॉजी के उपयोग करते हुए ऑडियो-विजुअल के माध्यम से पढ़ाया जायेगा. वहीं कक्षा एलकेजी से दूसरी कक्षा के बच्चों को विभिन्न खिलौने के जरिये अल्फाबेट, काउंटिंग और ऑब्जेक्ट सेंसिंग की जानकारी दी जायेगी.
नये सत्र से प्राइमरी सेक्शन के बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाने की कवायद शुरू की जायेगी. इसके लिए स्कूल के शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है. इस तरह खेल-खेल में पढ़ाने से बच्चे तथ्यों को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे और उनकी रुचि भी पढ़ाई के प्रति बढ़ेगी- पीके सिंह, प्राचार्य, केंद्रीय विद्यालय बेली रोड
स्कूल में बच्चों को पहले भी बच्चों को खेल से जोड़ते हुए पढ़ाई करायी जाती रही है. अब कला शिक्षक चित्रों और कलाकृतियों के माध्यम से पढ़ाने की शुरुआत करेंगे. इसके साथ ही नयी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए पढ़ाई को इंटरेक्टिव बनाया जायेगा- सीमा सिंह, प्राचार्या, संत कैरेंस हाई स्कूल
प्राइमरी सेक्शन के बच्चों को खेल से जोड़ते हुए पढ़ाने से उनकी रुचि बढ़ेगी. इसके लिए स्कूलों में तैयारी शुरू कर दी गयी है. नये सत्र से बच्चों को खिलौने और टेक्नोलॉजी की मदद से पढ़ाने की शुरुआत की जायेगी- ग्लेन गॉल्सटन, निदेशक, संत डोमेनिक हाइ स्कूल