10 जून 2022 को रांची के मेन रोड (महात्मा गांधी मार्ग) हिंसा मामले में जांच पूरी करने के लिए उच्चस्तरीय जांच कमेटी ने फिर साढ़े चार माह का समय मांगा है. कमेटी ने गृह विभाग को पूछे गये सवाल को लेकर जवाब भेजा है. इसमें कहा गया है कि जो भी अतिरिक्त समय दिया जाये, वह आदेश की तिथि से साढ़े चार माह का हो. इतना वक्त जांच के लिए और क्यों चाहिए , इसका ब्योरा भी कमेटी ने पत्र के साथ भेजा है. गृह विभाग द्वारा अतिरिक्त समय बढ़ाये जाने के आदेश के बाद उच्चस्तरीय कमेटी फिर से जांच शुरू करेगी. कमेटी में एडीजी संजय आनंद लाठकर व सचिव अमिताभ कौशल शामिल हैं.
मेन रोड हिंसा में मो मुद्दसिर व मो साहिल की फायरिंग में मौत हो गयी थी, जबकि जैप-3 का एक जवान अखिलेश यादव पैर में गोली लगने से घायल हो गया था. मामले में डेली मार्केट, लोअर बाजार और हिंदपीढ़ी थानों में करीब 32 प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इसमें 22 नामजद सहित आठ-दस हजार अज्ञात को आरोपी बनाया गया था.
जांच कमेटी 200 लोगों का बयान कलमबद्ध कर चुकी है. घटनास्थल का भी जायजा ले चुकी है. वीडियो फुटेज को भी खंगाल चुकी है. वहीं फॉरेंसिक रिपोर्ट, गोली चलानेवाले का नाम, किस हथियार से गोली चली, उसकी रिपोर्ट सहित कई चीजें रांची पुलिस ने जांच कमेटी को उपलब्ध नहीं करायी थी.
घटना की जांच के मामले में हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान से दर्ज पीआइएल पर कई बार सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा था कि जांच के प्रति राज्य सरकार गंभीर प्रतीत नहीं होती है. जांच की जिम्मेवारी एसआइटी से सीआइडी को दे दी गयी. घटना को लेकर दर्ज 32 प्राथमिकी में से सिर्फ एक केस सीआइडी को ट्रांसफर किया गया है. आखिर ऐसा क्यों किया गया? कोर्ट ने चल रही जांच पर असंतुष्टि जाहिर करते हुए कहा था कि क्यों न मामले की जांच सीबीआइ से करायी जाये.