पटना: विधानसभा में जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि पटना जिला अंतर्गत लंबे बादशाही नाले के क्रिटिकल रिचों में पक्कीकरण का कार्य कराया जा रहा है. इसके तहत चमनचक मोड़ से नारायणी हॉस्पीटल मोड़ तक बादशाही नाले के 270 मीटर लंबाई में आरसीसी बॉक्स कल्भर्ट टाईप ड्रेन का निर्माण कार्य प्रगति पर है.
भाकपा -माले के सदस्य गोपाल रविदास के बादशाही नाले के दोनों किनारों के पक्कीकरण से संबंधित सवाल पर मंत्री ने विधानसभा में कहा कि पटना जिला के बादशाही नाला फुलवारीशरीफ प्रखंड के गोनपुरा से निःसृत होता है. यह बरमुत्ता स्लूइस से होते हुए फतुहा प्रखंड के माधोपुर ग्राम के पास पुनपुन नदी में मिल जाता है. बादशाही नाले की कुल लंबाई 30.13 किमी है. वर्त्तमान में बादशाही नाले के केवल क्रिटिकल रिचों में पक्कीकरण का कार्य कराया जा रहा है.
श्री झा ने यह भी कहा कि मेट्रो रेल एलाइनमेंट के कारण पक्कीकरण कार्य में विलंब हुआ है. अभी कार्य की भौतिक प्रगति 75 प्रतिशत है, जिसे मॉनसून सीजन 2023 से पहले पूरा कराने का लक्ष्य है.
जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने विधानसभा में कहा कि मोकामा-बड़हिया टाल क्षेत्र से जल निकासी की व्यवस्था, गंगा नदी के बैक वाटर के प्रवेश को रोकने रोकने, जल प्रवाह को नियंत्रित करने और बेहतर जल प्रबंधन के लिए बाढ़ प्रबंधन योजना के तहत 188.5 करोड़ रुपये की लागत से पांच एंटी फ्लड स्लूईस के निर्माण कराये जा रहे हैं.
इनमें से घोसवरी प्रखंड अंतर्गत गायघाट सोता, डुमना सोता, खनुआ सोता और लंगड़ी सोता में कुल चार एंटी फ्लड स्लुईस के निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है. भाजपा के विजय कुमार सिन्हा के मोकामा बड़हिया टाल क्षेत्र में जल प्रबंधन से संबंधित सवाल के जवाब में मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि मॉनसून अवधि में वर्षा का पानी, दक्षिण बिहार के नदियों का जल और गंगा नदी की बाढ का पानी (बैक वाटर) टाल क्षेत्र में भर जाता है. टाल क्षेत्र से जल निकासी का एकमात्र मार्ग हरोहर नदी है. मॉनसून के बाद गंगा के जलस्तर में कमी होने पर टाल क्षेत्र का पानी हरोहर नदी के माध्यम से गंगा में चला जाता है. मॉनसून अवधि के बाद टाल क्षेत्र से पानी निकलने पर किसानों द्वारा रबी फसल की बुआई की जाती है.
श्री झा ने कहा कि हरोहर नदी में लखीसराय प्रखंड अंतर्गत बालगुदर ग्राम के पास एक एंटी फ्लड स्लूईस-सह-रेगुलेटर के निर्माण कार्य की अद्यतन भौतिक प्रगति 53 प्रतिशत है. भू-अर्जन की कार्रवाई पूर्ण करते हुए शेष कार्य को करीब एक वर्ष में पूर्ण करा लिए जाने की संभावना है.