पटना. स्वाद, संस्कृति, परंपरा, हस्तशिल्प और हुनर के विविध रंगों को अपने अंदर संजोये बिहार सरस मेला का आयोजन 15 दिसंबर से पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होने जा रहा है. वहीं मेले का समापन 29 दिसंबर को होगा. हमारे देश के हर राज्य के स्वदेशी उत्पाद, संस्कृति और परंपरा को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से साल 2014 से सारस मेले का आयोजन होता आ रहा है. बिहार सरस मेले का आयोजन बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति, जीविका के तत्वावधान में प्रति वर्ष अलग-अलग थीम आधारित होता है. इस साल आयोजित सरस मेला का थीम उद्धमिता से सशक्तिकरण है.
बच्चों के लिए फन जोन होगा खास आकर्षण
सरस मेला में देश के स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं और शिल्पकारों की ओर से निर्मित उत्पाद, हस्त शिल्प और लोक कलाकृतियों की प्रदर्शनी सह बिक्री होगी. इसके साथ ही फूड जोन में देशी और पारंपरिक व्यंजनों के विभिन्न राज्यों के स्टॉल और जीविका दीदियों द्वारा संचालित दीदी की रसोई के स्टॉल भी होंगे. वहीं बच्चों के लिए फन जोन खास आकर्षण होगा.
सांस्कृतिक कार्यक्रम का प्रतिदिन होगा आयोजन
मुख्य सांस्कृतिक मंच पर प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत लोकगीत और लोकनृत्य आयोजित होगा. प्रतिदिन विभिन्न विभागों, संस्थानों की ओर से विभिन्न विषयों पर आधारित सेमिनार, परिचर्चा का आयोजन सेमिनार कक्ष में आयोजित होगा. समसामयिक मुद्दों, विभिन्न योजनाओं और जन जागरूकता अभियानों को नुक्कड़ नाटक के माध्यम से प्रतिदिन विभिन्न रंग संस्थानों के कलाकारों द्वारा प्रस्तुति होगी.
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प्लास्टिक मुक्त रहेगा बिहार सरस मेला
मेला में कैशलेश खरीददारी की भी व्यवस्था रहेगी. इसके लिए जीविका दीदियों की ओर से संचालित ग्राहक सेवा केंद्र के स्टॉल बनाये जा रहे हैं. विभिन्न विभागों, संस्थानों एवं बैंकों के स्टॉल द्वारा भी लोगों को विभिन्न योजनाओं के प्रति जागरूक किया जायेगा. बिहार सरस मेला पूरी तरीके से प्लास्टिक मुक्त रहेगा.