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जयशंकर ने पाकिस्तान को लगाई कड़ी फटकार, कहा- दिन में समस्या पर बात और शाम को ड्रग्स सप्लाई… नहीं चलेगा

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का क्षेत्रीय अंतरसरकारी संगठन है. इसमें बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं. बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका के आपसी संबंध मजबूत हैं.

वाराणसी : भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने शनिवार को आतंकवाद का समर्थन करने वाले पाकिस्तान को कड़े संदेश देते हुए जमकर फटकार लगाई है. उन्होंने कहा कि फिलहाल, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) सक्रिय नहीं है, क्योंकि इसके एक सदस्य का मानना है कि पड़ोसी से निपटना सीमा पार आतंकवाद अनुकूल है. सार्क के अन्य सदस्यों के साथ भारत के निष्क्रिय होने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र किए बिना कहा कि मुझे नहीं लगता कि हम सार्क से अलग हुए हैं. उन्होंने कहा कि इस समय सार्क सक्रिय क्यों नहीं है, क्योंकि सार्क का एक सदस्य मानता है कि पड़ोसियों के साथ व्यवहार करना सीमा पार आतंकवाद के कारकों के अनुकूल है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का क्षेत्रीय अंतरसरकारी संगठन है. इसमें बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका के आपसी संबंध मजबूत हैं और पिछले पांच सालों में यह पहले के मुकाबले कहीं अधिक प्रगाढ़ हुए हैं. इसके साथ ही, व्यापार, निवेश और आपसी सहयोग बढ़े हैं.

कमरे में बैठकर समस्या पर बात और शाम को ड्रग्स सप्लाई

उन्होंने कहा कि इसमें समस्या यह है कि एक कमरे में बैठकर किसी व्यक्ति से निपटने के मुद्दे पर चर्चा होती है और वह आपके साथ खड़ा भी है, लेकिन दिन के अंत तक वही जो आपके साथ खड़ा है, वही लोगों को ड्रग्स भेजना शुरू कर देता है. असली समस्या यही है.

क्षेत्रीय रूप से भारत अधिक प्रभावी

उन्होंने कहा कि भारत क्षेत्रीय रूप से अधिक प्रभावी हो गया है. पहले दुनिया भारत और पाकिस्तान को समान दृष्टि से देखती थी, लेकिन अब पाकिस्तान के प्रति उसका नजरिया बदल गया है. उन्होंने कहा कि भारत दक्षिण एशिया के क्षेत्र में प्राथमिक शक्ति के तौर पर उभरकर सामने आया है.

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देश के उत्थान में प्रवासी भारतीयों का अहम योगदान

उन्होंने कहा कि जब दुनिया के भारत के उत्थान को देखती है, तो इसमें प्रवासी भारतीयों का योगदान और उनकी सफलताएं हमारे के लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. इसलिए हमारी भी कुछ जिम्मेदारी बनती है. यदि इतने सारे भारतीय विदेश में रहते हैं, तो यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम इसकी देखभाल करें.

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