बिहार में संचालित फर्जी कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार की एजेंसियां, वित्तीय नियामक संस्थाएं मसलन रिजर्व बैंक, सेबी और रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी लगातार काम कर रही हैं. इसके बाद भी फर्जी कंपनियां राज्य में न केवल काम कर रही हैं, बल्कि यहां की भोली -भाली जनता की गाढ़ी कमाई भी अवैध तरीके से जमा ले रही हैं. आये दिन फर्जी कंपनियां रातों-रात लोगों की जमा राशि लेकर चंपत हो जाती हैं.
राज्य में अवैध रूप से चल रही ऐसी कंपनियों पर कार्रवाई के लिए राज्य स्तर पर पुलिस प्रशासन और एजेंसियों के बीच तालमेल बिठाने के लिए स्टेट लेवल को-ऑर्डिनेशन कमेटी (एसएलसीसी) भी काम कर रही है. एसएलसीसी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने नियामक संस्थानों को खरी-खरी सुनायी. उन्होंने कहा- अवैध संचालित कंपनियों के बारे में सिर्फ बिहार सरकार को चिट्टी लिख देने से काम नहीं चलने वाला है, आप सब को भी अपने स्तर पर कार्रवाई करनी होगी. राज्य सरकार कार्रवाई में आपकी पूरी मदद देगी.
राज्य सरकार ने फर्जी कंपनियों पर नजर रखने के लिए हर जिले में बिहार प्रशासनिक सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदारी दी है. थानाप्रभारियों को भी इस तरह की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए निर्देश दिया गया है.ऑनलाइन बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक के प्रतिनिधि, भारतीय प्रतिभूत विनिमय बोर्ड (सेबी), रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी, को- ऑपरेटिव रजिस्ट्रार और इओयू के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
बिहार में करीब 700 एनबीएफसी और निधि कंपनियां काम कर रही हैं, जिसमें से करीब 322 कंपनियों को लोगों से जमा लेने की अनुमति नहीं है. यानी यह कंपनियां गलत तरीके से लोगों से जमा ले रही हैं. इन कंपनियों पर कार्रवाई के लिए राज्य सरकार ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है. राज्य के सभी जिलों में निधि कंपनियां काम कर रहीं, इनमें सबसे अधिक निधि कंपनियां पटना जिले में 85 हैं. दूसरे स्थान पर समस्तीपुर, तीसरे स्थान पर मुजफ्फरपुर और चौथे स्थान पर वैशाली है. कंपनी ऑफ रजिस्ट्रार कार्यालय सूत्रों के अनुसार जांच के क्रम में यह पता चला कि इनमें से अधिकतर कंपनियों ने अपना पता गलत दिया है. नवंबर महीने में राज्य सरकार ने पांच फर्जी कंपनियों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज करवायी है.
Also Read: बिहार में 26 दिसंबर से लगनी है बालू खनन पर रोक, राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट जायेगी राज्य सरकार
जमा लेकर समय पूरा होने के बाद भी पैसा नहीं लौटाने के मामले में भी सामने आ रहे हैं. लोगों ने इओयू और वित्त विभाग को शिकायतें की हैं.इन शिकायतों में सबसे अधिक सहारा के विरोध में है. सूत्रों का कहना है कि सहारा के विरोध में करीब 26 हजार से अधिक शिकायतें मिली हैं. शिकायतों में लोगों ने लिखा है कि मैच्यूरिटी अवधि पूरा होने के बाद भी कंपनी पैसा नहीं दे रही है.