पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गिरफ्त में आये पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा पर्षद (डब्ल्यूबीबीपीइ) के पूर्व अध्यक्ष व तृणमूल कांग्रेस विधायक माणिक भट्टाचार्य (Manik Bhattacharya) की न्यायिक हिरासत की अवधि पूरी हो गयी. माणिक की गिरफ्तारी के 60 दिनों के पूरा होने से पहले ही ईडी की ओर से उक्त मामले को लेकर अदालत में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की गयी. इस दिन अपराह्न केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारी चार्जशीट और सहायक दस्तावेजों के साथ एक ट्रंक में अदालत में पेश हुए. सूत्रों के अनुसार, करीब 160 पन्नों की चार्जशीट में दिये गये तथ्यों से संबंधित ट्रंक में करीब 5,287 पन्नों के दस्तावेज रखे थे. चार्जशीट में विधायक माणिक के अलावा उनकी पत्नी सतरूपा भट्टाचार्य, बेटा शौभिक भट्टाचार्य, विधायक का करीबी माने जाने वाले व्यवसायी तापस मंडल के नाम आरोपियों की सूची में हैं.
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इसके अलावा तापस मंडल के दो संस्थानों के नाम भी चार्जशीट में आरोपियों की सूची में शामिल किये गये हैं. प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाले में माणिक भट्टाचार्य पर रिश्वत के बदले नौकरी की सिफारिश देने का आरोप है. सूत्रों के अनुसार, ईडी की चार्जशीट में माणिक व उनके परिजनों की संपदा से जुड़े कई दस्तावेजों की जानकारी है. 61 बैंक खातों का उल्लेख है. ईडी ने इस मामले में अबतक करीब 7.9 करोड़ की संपत्ति अटैच की है. हालांकि, इस मामले में 29 करोड़ की संपत्ति होने की बात भी सामने आयी है. इधर, चार्जशीट में 60 लोगों के बयान से संबंधित दस्तावेज भी हैं. ईडी की ओर से यह भी बताया गया कि वर्ष 2018 से 2021 तक तीन शिक्षा-सत्रों में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) के लिए करीब 600 निजी बीएड व डीएलएड कॉलेजों में ऑफलाइन दाखिले के वास्ते हर छात्र से करीब पांच हजार रुपये लिये गये थे. इस तरह करीब 20.73 करोड़ की राशि छात्रों से ली गयी.
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ईडी की चार्जशीट में अपनी पत्नी व बेटे का नाम शामिल किये जाने के बाद माणिक लगभग टूटे से दिखे. उन्होंने कहा मुझे मार डालो, लेकिन मेरी पत्नी व बेटे को कुछ नहीं करो. इधर, अदालत में सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से आरोप लगाया गया कि उनकी करीबी व व्यवसायी तापस मंडल के जरिये निजी बीएएड व डीएलएड कॉलेजों में ऑफलाइन प्रवेश के नाम पर अवैध तरीके से लिये गये रुपये का लाभ माणिक को मिला है. उनके व उनसे जुड़े लोगों के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी को अहम तथ्य हाथ लगे हैं. ईडी के अधिवक्ता ने दावा किया कि माणिक प्रभावशाली हैं और उन्हें यदि जमानत मिली, तो जांच प्रभावित हो सकती है. इसके बाद ही माणिक के अधिवक्ता ने कहा कि यदि उनके मुवक्किल प्रभावशाली होते, तो क्या करीब 57 दिनों से जेल में रहते? उन्होंने कहा कि क्या माणिक सत्तारूढ़ दल से जुड़े हैं, इसलिए केंद्रीय जांच एजेंसी उन्हें हिरासत में ही रखना चाहती है? उनके मुवक्किल ने जांच में पूरा सहयोग किया है. ऐसे में उन्हें जमानत दी जानी चाहिए.