गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद आज फैसले का दिन है. मतगणना जारी है. दो घंटे से अधिक का समय हो चुका है. अगर रुझानों की बात करें तो गुजरात में भाजपा सरकार बनाती हुई नजर आ रही है, जबकि हिमाचल में कांटे की टक्कर है और त्रिशंकु विधानसभा की संभावना नजर आ रही है.
ऐसे में अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो हम पायेंगे कि गुजरात में भाजपा ऐतिहासिक जीत की ओर अग्रसर है और अबतक 151 सीट पर आगे चल रही है. कांग्रेस 21 और आप आठ सीटों पर आगे है. वहीं हिमाचल में कांग्रेस और भाजपा 31-31 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि अन्य पार्टियां चार सीटों पर आगे चल रही हैं.
इन तमाम आंकड़ों के बीच एक और आंकड़ा है जो हमें सोचने पर विवश करता है. यह आंकड़ा है महिला उम्मीदवारों का. दोनों राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों की अनदेखी की गयी है. हालांकि महिला मतदाताओं ने दोनों ही राज्यों में मतदान में बढ़-चढ़कर भाग लिया है.
आंकड़ों पर गौर करें तो हम पायेंगे कि गुजरात के 182 सीटों पर मात्र 139 महिला उम्मीदवार मैदान में हैं. यहां भाजपा ने 12, कांग्रेस ने 14 और आप ने सात महिलाओं को टिकट दिया. यानी कुल 10 प्रतिशत सीट भी महिलाओं के खाते में नजर नहीं आ रही है.
वहीं अगर हम हिमाचल प्रदेश की बात करें तो यहां भी महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं है. यहां कुल 68 सीटों पर मात्र 14 महिलाएं मैदान में हैं. इनमें भाजपा की छह, कांग्रेस की 3 और आप की पांच महिलाएं शामिल हैं.
अबतक जो आंकड़े नजर आ रहे हैं उससे ऐसा प्रतीत होता है कि महिला उम्मीदवारों पर जनता और पार्टी दोनों ही भरोसा नहीं कर पा रही है. यही वजह है कि जो महिलाएं चुनाव में खड़ी होती भी हैं वे चुनाव जीतकर विधानसभा नहीं पहुंच पाती हैं. हिमाचल में 2017 में 17 उम्मीदवार मैदान में थीं, लेकिन चार ही सदन पहुंची थीं. वहीं 2012 में 34 महिलाओं में से सिर्फ तीन सदन पहुंची थीं. वहीं गुजरात की बात करें तो यहां 2017 में 22 महिलाएं मैदान में थीं, जिनमें से 13 सदन पहुंचीं थीं, 2012 में 16, 2007 में 16 और 2002 में 12 महिलाएं सदन पहुंचीं थीं.
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