देवघर जिले में डीएसओ का लॉगिन हैक कर बीएसओ लॉगिन बनाकर राशन कार्ड जारी करने के मामले के खुलासे के बाद दूसरे जिलाें से भी ऐसे मामले सामने आये हैं. साइबर अपराधियों ने देवघर के अलावा हजारीबाग एवं गिरिडीह डीएसओ का लॉगिन भी हैक कर भारी मात्रा में ग्रीन राशन कार्ड को पीएचएच में बदल दिया है.
इसके बाद राज्य मुख्यालय की ओर से सभी जिलों के डीएसओ के लॉगिन को बंद कर दिया गया है. साइबर अपराधियों ने गिरिडीह में 2500 और हजारीबाग में 1014 ग्रीन राशन कार्ड को पीएचएच में तब्दील कर दिया है, जबकि राज्यभर में पीएचएच बनना अभी बंद है. फिलहाल राज्यभर में नये राशन बनने का काम भी बंद हो गया है.
पीडीएस सिस्टम को अपडेट करने के बाद इसे दोबारा चालू किया जायेगा. यह जानकारी देवघर जिला आपूर्ति पदाधिकारी अमित कुमार ने दी.
हजारीबाग जिला आपूर्ति पदाधिकारी अरविंद कुमार ने बताया कि उन्हें दो महीने पहले से ही कार्ड जारी होने का शक था और इसकी जांच भी शुरू कर दी थी. जैसे ही देवघर में मामले का खुलासा होने की सूचना मिली, तो इसकी गहराई से जांच करने पर पता चला कि हजारीबाग में साइबर अपराधियों ने अक्तूबर से ही राशन कार्ड बनाना प्रारंभ कर दिया था. अब तक हजारीबाग में 1014 ग्रीन राशन कार्ड को पीएचएच कार्ड में बदल दिया गया है.
लॉगिन हैक कर यह किया गया या फिर किसी और तरीके से, इसकी जांच के बाद ही सच सामने आयेगा. सारी बातों की जानकारी तुरंत मुख्यालय को दी गयी है, वहां से स्वीकृति मिलते ही मामले में एफआइआर दर्ज करायी जायेगी. गिरिडीह के डीएसओ गौतम भगत ने बताया कि हमारे जिले में साइबर अपराधियों ने 2500 ग्रीन कार्ड को पीएचएच में कन्वर्ट कर दिये हैं. अपने स्तर से जांच करने पर पता चला कि सारे राशन कार्ड रात के आठ बजे के बाद ही बनाये गये हैं.
विभाग की ओर से शाम सात बजे तक ही कार्ड बनाने का काम होता है. मिल रही जानकारी के अनुसार, सरायकेला एवं जमशेदपुर में भी डीएसओ लॉगिन को हैक कर भारी मात्रा में राशन कार्ड जारी किये गये हैं. विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यालय स्तर से सभी जिले के डीएसओ को अपने स्तर से राशन कार्ड की जांच करने का आदेश दिया गया है.
साइबर अपराधियों ने डीएसओ का लॉगिन हैक कर सैकड़ों की संख्या में फर्जी राशन कार्ड तो जारी कर ही दिये, साथ ही ग्रीन कार्ड को पीएचएच में कन्वर्ट कर दिया है. ग्रीन कार्ड उनका बनता है जो गरीब तो हैं, लेकिन कोटा नहीं होने के चलते इनका गुलाबी कार्ड नहीं बनता है. कोटा खाली होते ही ऐसे ग्रीन कार्ड को गुलाबी में बदल दिया जाता है. हैकर्स ने हजारों की संख्या में ऐसे ग्रीन कार्ड को बिना कोटा ही गुलाबी कार्ड में बदल दिया है. गुलाबी कार्ड पर परिवार के हर सदस्य को एक रुपये किलो की दर से पांच-पांच किलो सामग्री मिलती है.