पटना. देश में मिडिल क्लास परिवारों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. 2004-05 में जहां मिडिल क्लास की संख्या कुल आबादी की 14 प्रतिशत थी, वह 2021-22 तक दोगुने से अधिक बढ़कर 31 फीसदी हो गयी है. बात करें पटना की तो यहां 2015-16 से 2020-21 के दौरान मिडिल क्लास परिवारों की संख्या में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि नीति आयोग के इंडेक्स के अनुसार राज्य की करीब 52 फीसदी आबादी गरीब है. 2047 तक देश की कुल आबादी में मिडिल क्लास की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत हो जायेगी. यह खुलासा पीपल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी (प्राइस) के एक सर्वे में हुआ है. यह सर्वे साल 2021 में 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले पटना और रांची समेत देश के 63 शहरों में किया गया है.
30 लाख से अधिक की सालाना आय वाले परिवार अमीर श्रेणी में, 5 लाख से अधिक व 30 लाख तक की आय वाले परिवार मध्यमवर्गीय श्रेणी में और 1.25 लाख से 5 लाख तक की आय वाले परिवार निम्न आय श्रेणी में रखे गये हैं. 1.25 लाख से कम की सालाना आय वाले परिवार वंचितों की श्रेणी में है.
देश में 3 प्रतिशत परिवार व 4 फीसदी आबादी अमीर है, जो कुल इनकम का 23 प्रतिशत जेनरेट करती है. देश के लोगों द्वारा किये गये जा रहे सालाना खर्च का 17 फीसदी हिस्सा इस श्रेणी से आता है. वहीं, अमीरों द्वारा देश में हो रही कुल बचत का 43 प्रतिशत हिस्सा दिया जाता है. मिडिल क्लास की बात करें तो यह जनसंख्या का 31 फीसदी है. आय में इनकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत, खर्च में 48 फीसदी और बचत में 56 प्रतिशत है. निम्न आय वर्ग जनसंख्या का सबसे बड़ा हिस्सा हैं. ये कुल आबादी का 54 फीसदी हैं. जबकि इनकी आय 25 प्रतिशत, खर्च 32 फीसदी और बचत केवल 1प्रतिशत है. भारत में वंचित कुल आबादी का 13% हैं. आय में इनकी हिस्सेदारी 2%, खर्च में 3% और बचत में शून्य है.
महाराष्ट्र में देश के सबसे अधिक अमीरों वाला राज्य है. यहां 6.4 लाख परिवार सुपर रिच हैं जिनकी सालाना आय 2021 में 2 करोड़ रुपये से अधिक थी. 1.81 लाख के साथ दिल्ली दूसरे स्थान पर है. इसके बाद गुजरात (1.41 लाख), तमिलनाडु (1.37 लाख) और पंजाब (1.01 लाख) का स्थान है. सर्वे के मुताबिक, 1994-95 में देश में सुपर रिच परिवारों की संख्या 98000 थी जो 2020-21 में बढ़कर 18 लाख हो गयी.
यह सर्वे साल 2021 में 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले पटना समेत 63 शहरों में किया गया है. सर्वे के अनुसार, देश की कुल आबादी में से 27% मिडिल क्लास और 43% अमीर इन शहरों में रहते हैं. ये शहर देश की हाउसहोल्ड डिस्पोजेबल इनकम का 29%, कुल खर्च का 27% और कुल बचत का 38% जनरेट करते हैं.
अर्थशास्त्री प्रो. एनके चौधरी ने बताया कि जैसे-जैसे विकास की गति तेज होगी, वैसे-वैसे मध्यवर्गीय परिवारों की संख्या में बढ़ोतरी होगी. चूंकि यह सर्वे केवल पटना में किया गया है, इसलिए पटना की बढ़ोतरी दिखायी देती है. लेकिन मुजफ्फरपुर, भागलपुर और गया जैसे शहरों में भी इस वर्ग में बढ़ोतरी हुई है.
आद्री के अर्थशास्त्री डाॅ सुधांशु कुमार ने बताया कि मध्य वर्ग का खपत और बचत दोनों विकास की गति को बढ़ता है. बढ़ता हुआ मध्यम वर्ग समय के साथ दर्ज आर्थिक-सामाजिक विकास, जैसे प्रतिव्यक्ति आय, शिक्षा सहित अन्य मूलभूत आवश्यकताओं में सुधार की न केवल परिणति है बल्कि इस वर्ग की एक बड़ी भूमिका विकास को और आगे ले जाने में भी है. बढ़ता हुआ मध्यम वर्ग भविष्य के लिए अच्छा संकेत देता है.