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बिहार में किसानों के विकास की दिशा तय करेगा चौथा कृषि रोड मैप, 2023-2027 के लिए तैयारी में जुटी सरकार

चतुर्थ कृषि रोड मैप को इस कदर तैयार करने की कोशिश की जा रही है, ताकि वह अत्यधिक प्रभावकारी साबित हो. कहा जा रहा है कि यह कृषि रोड मैप भविष्य की चुनौतियों, पिछले अनुभवों, प्रगतिशील किसानों, कृषि वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों के परामर्श के आधार पर तैयार होगा.

औरंगाबाद. कृषि के क्षेत्र में इंद्रधनुषी क्रांति लाने और किसानों का सदाबहार व सर्वांगीण विकास करने के उद्देश्य से सूबे में चौथा कृषि रोड मैप तैयार किया जा रहा है. किसानों के सुझाव से अगले पांच वर्षों के लिए यह नया रोड मैप बनाया जा रहा है. यह अन्नदाताओं के विकास की दिशा तय करेगा. चौथा कृषि रोड मैप तैयार करने के लिए गुरुवार को जिले के किसानों के साथ विमर्श किया जायेगा. इस नये कृषि रोड मैप में हर तथ्यों पर ध्यान दिया जा रहा है, जिससे किसानों की आय बढ़ने के साथ सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त होगा. इस संदर्भ में राज्य स्तर से जिला को निर्देश प्राप्त हुआ है.

किसानों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा

कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर स्थित टाउन हॉल में सभी छोटे-बड़े किसानों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा, जिसमें उनके साथ विचार-विमर्श करते हुए सुझावों को संकलित किया जायेगा. चौथे कृषि रोड मैप को व्यापक बनाने का प्रयास किया जा रहा है. इस कारण जिला स्तर पर फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्यपालन करने वाले किसानों विशेषकर युवा किसान एवं सीमांत किसानों के सुझाव लिये जायेंगे. जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल की अध्यक्षता में किसानों की यह कार्यशाला आयोजित होगी. जिला कृषि पदाधिकारी रणवीर सिंह ने बताया कि कार्यशाला की तैयारी पूर्ण कर ली गयी है. दिशा-निर्देश के अनुसार अन्न दाताओं से सुझाव लिये जायेंगे.

समग्र विकास का होगा दस्तावेज

चतुर्थ कृषि रोड मैप को इस कदर तैयार करने की कोशिश की जा रही है, ताकि वह अत्यधिक प्रभावकारी साबित हो. कहा जा रहा है कि यह कृषि रोड मैप भविष्य की चुनौतियों, पिछले अनुभवों, प्रगतिशील किसानों, कृषि वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों के परामर्श के आधार पर तैयार होगा, जो किसानों, खेतों एवं सूबे के समग्र विकास का एक तरह से दस्तावेज होगा. जलवायु अनुकूल कृषि व जल जीवन हरियाली पर अधिक फोकस किया जायेगा. पदाधिकारियों से कहा गया है कि वे सभी किसानों के विचारों को गंभीरता पूर्वक संकलित करें.

2007 में लागू हुआ था पहला कृषि रोड मैप

बिहार कृषि प्रधान राज्य है और यहां की करीब 75 प्रतिशत आबादी का जीविकोपार्जन खेती पर निर्भर है. किसानों की आय बढ़ाने और उनके हित के लिए सरकार द्वारा कृषि रोड मैप की परिकल्पना की गयी. परंपरागत खेती से आगे किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए फल-फूल, बागवानी, मत्स्य एवं पशुपालन के लिए व्यापक तौर पर सोचा गया. अनिश्चित मानसून की चिंता करते हुए बाढ़ एवं सूखा से फसलों की हिफाजत करने के लिए विशेष योजनाएं बनाई गयी और फिर 2007 में पहली बार कृषि रोड मैप लाया गया था. 2012 में दूसरा कृषि रोड मैप लाया गया था. समय के साथ उद्देश व्यापक होता गया और फिर इसके बाद 2017 में तीसरा कृषि रोड मैप आया. पांच साल बाद अब चौथा कृषि रोड मैप लाने की तैयारी है.

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चौथा कृषि रोड मैप के ये हैं उद्देश्य एवं संभावनाएं

  • जलवायु अनुकूल कृषि प्रणालियों का अंगीकरण

  • फसल विविधीकरण को बढ़ावा

  • सघन कृषि प्रोत्साहन घटते

  • ई-कामर्स को बढ़ावा

  • कृषि उद्यमिता का विकास

  • फसल अवशेष का टिकाऊ प्रबंधन

  • फसल-मांग आधारित बाजार व्यवस्था

  • समेकित कृषि प्रणाली

  • शीत गृहों की स्थापना

  • निजी भंडार गृह प्रोत्साहन

  • रासायनिक उर्वरकों के विकल्प का विकास

  • कृषि ऋण की सुगम उपलब्धता

  • वैकल्पिक उद्यमों का समावेश

  • पुरातन स्थानीय प्रजातियों का संरक्षण

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