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राजीव कैश कांड की CBI जांच शुरू, टीम रांची पहुंची

न्यायालय ने आदेश की प्रति मिलने के बाद 15 दिनों के अंदर पीइ दर्ज कर जांच शुरू करने का आदेश दिया था. हाइकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह मामला न्यायालय, इडी और सरकारी अधिकारियों को बदनाम करने की कोशिश है.

हाइकोर्ट के आदेश पर दिल्ली सीबीआइ ने राजीव कैशकांड मामले की जांच शुरू कर दी है. मंगलवार को मामले की जांच के लिए दिल्ली से सीबीआइ की एक टीम रांची पहुंच गयी. उल्लेखनीय है कि हाइकोर्ट ने राजीव कैश कांड में अमित अग्रवाल की याचिका पर इडी का जवाब सुनने के बाद 30 नवंबर को फैसला सुनाया था. न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायहित में सीबीआइ को मामले की जांच का आदेश दिया था.

न्यायालय ने आदेश की प्रति मिलने के बाद 15 दिनों के अंदर पीइ दर्ज कर जांच शुरू करने का आदेश दिया था. हाइकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह मामला न्यायालय, इडी और सरकारी अधिकारियों को बदनाम करने की कोशिश है. इडी ने कोर्ट में दाखिल अपनी रिपोर्ट में यह कहा था कि अभियुक्त अमित अग्रवाल ने 1000 करोड़ के अवैध खनन और शेल कंपनियों में राजनीतिज्ञों का पैसा निवेश करने के आरोपों की जांच से बचने के लिए साजिश रची थी. उसने निजी लाभ के लिए राजीव कुमार को लालच दिया और कोलकाता बुला कर 50 लाख रुपये देकर गिरफ्तार करवाया.

शेल कंपनी मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू याचिका

सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ जनहित याचिका दायर करनेवाले शिवशंकर शर्मा ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दायर कर सात नवंबर के फैसले की समीक्षा का आग्रह किया है. सुप्रीम कोर्ट ने हेमंत के अनगड़ा माइनिंग लीज आवंटन व करीबियों के शेल कंपनियों के माध्यम से निवेश को लेकर दायर जनहित याचिकाओं को मेंटेनेबल नहीं माना था.

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार व हेमंत सोरेन की एसएलपी को स्वीकार करते हुए झारखंड हाइकोर्ट के तीन जून 2022 के आदेश को निरस्त कर दिया था. कहा था कि याचिका में उच्च प्राधिकार पर आरोप लगाया गया है, लेकिन इन आरोपों को लेकर पर्याप्त सबूत नहीं हैं. आधे-अधूरे आरोपों के आधार पर कोर्ट जांच का आदेश नहीं दे सकता है. वह भी एक ऐसे व्यक्ति की याचिका पर, जिसका क्रेडेंशियल हाइकोर्ट रूल्स के अनुसार स्पष्ट नहीं है.

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