Gorakhpur News: गोरखपुर नगर निगम में महापौर पद के प्रस्तावित आरक्षण ने सैकड़ों लोगों की उम्मीदों पर पंख लगा दी है. काफी दिनों से लोग यह कयास लगा रहे थे कि महापौर की सीट कभी पिछड़ा तो कभी पिछड़ा महिला तो कभी सामान्य हो सकती है. लेकिन सोमवार शाम लगभग 5:15 बजे जैसे ही सूची वायरल हुई दावेदारों के लाइन में खड़े लोगों के चेहरे खिल उठे. गोरखपुर में महापौर का पद अनारक्षित घोषित होने के बाद यह तय हो गया कि न सिर्फ दावेदारों, वरन लड़ने वालों की संख्या भी इस बार पहले से ज्यादा होगी.
उत्तर प्रदेश के 17 शहरों में नगर निगम के चुनाव को लेकर सोमवार की शाम आरक्षण सूची जारी हो गई. जैसे ही आरक्षण सूची जारी हुई लोगों में खुशी का ठिकाना ना रहा. भाजपा, सपा, बसपा के अलावा निर्दल पार्टियों के नेताओं ने भी टिकट पाने के लिए अपनी ताकत झोंकना शुरू कर दी है.
शहर में मेयर सीट पर पिछले तीन बार से बीजेपी का कब्जा है. जबकि इसके पहले गोरखपुर की जनता ने सभी पार्टियों को छोड़कर निर्दल प्रत्याशी किन्नर अमरनाथ यादव उर्फ आशा देवी को महापौर चुना था. भाजपा में पहले से ही मेयर पद के लिए दावेदारी उफान पर थी लेकिन मेयर सीट अनारक्षित हो जाने से दावेदारी और बढ़ेगी.
अन्य पार्टियों में भी टिकट के लिए इस समय घमासान मची हुई है. 2017 के नगर निकाय चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सीताराम जायसवाल अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के राहुल गुप्ता को 75,972 वोट से हराकर विजयी हुए थे. उन्हें 14,6187 मत मिले थे जबकि राहुल गुप्ता को 70,215 वोट मिले. मेयर के लिए कुल 30,6351 वोट पड़े थे.
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गोरखपुर नगर पालिका के बाद वर्ष 1989 में शहर को नगर निगम का दर्जा मिला. तब नगर निगम में नगर प्रमुख होते थे.
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शहर में पहले नगर प्रमुख पवन बथवाल 12 फरवरी 1989 को बने थे. उनका कार्यकाल 22 फरवरी 1994 को पूरा हुआ.
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उसके बाद राजेंद्र शर्मा 30 नवंबर 1995 को दूसरे नगर प्रमुख बने. इस पद पर 30 नवंबर 2000 तक रहे.
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इसके बाद 30 नवंबर 2000 में गोरखपुर की जनता ने किन्नर अमरनाथ उर्फ आशा देवी को नगर प्रमुख के रूप में चुना उनका चुनाव निशान चूड़ी था. इनका कार्यकाल 5 जनवरी 2006 को पूरा हुआ.
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21 नवंबर 2002 को नगर निगम के नगर प्रमुख को महापौर का नाम दिया गया.
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17 नवंबर 2006 को बीजेपी से अंजू चौधरी को जनता ने महापौर के रूप में चुना और इनका कार्यकाल 15 जुलाई 2012 तक रहा.
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16 जुलाई 2022 को डॉ सत्या पांडे ने बीजेपी के बैनर तले विजय हासिल की इनका कार्यकाल 7 अगस्त 2017 को पूरा हुआ.
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12 दिसंबर 2017 को सीताराम जायसवाल ने बीजेपी के बैनर तले विजय हासिल की और महापौर पद की शपथ ली.
17 साल बाद मेयर की कमान पुरुष के हाथ में आई है. 2002 में मेयर किन्नर आशा देवी ने निर्दल प्रत्याशी के रूप ने जीत हासिल की थी. वहीं आठ नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद पर तीन पर भाजपा ,तीन निर्दलीय, एक बसपा और एक सीट पीस पार्टी के खाते में गई है.
गोरखपुर में इस बार 80 वार्डों और जिले की 11 नगर पंचायतों में चुनाव होना है. इससे पहले शहर में सिर्फ 70 वार्ड से बीते 5 साल के दौरान 10 नए वार्ड नगर निगम में जुड़े हैं. ऐसे में महानगर में वार्डों में बड़ा बदलाव हुआ है. इस बार 80 वार्डों में 46 सीटें रिजर्व है. जिनमें 26 सीट सिर्फ महिलाओं के लिए रिजर्व है. इसमें सामान्य महिला सीट के साथ महिला पिछड़ा वर्ग और महिला अनुसूचित जाति की सीटें भी शामिल हैं.
रिपोर्ट –कुमार प्रदीप ,गोरखपुर