मुजफ्फरपुर: इसी महीने से शुरू होने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 से ठीक पहले शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा गयी है. मुख्य सड़कों से ज्यादा कचरे का अंबार गली-मोहल्लों में है. लंबे समय से कूड़े का उठाव नहीं होने से अब इससे बदबू निकलना शुरू हो गया है. यह स्थिति आउटसोर्सिंग पर बहाल करीब डेढ़ सौ टिपर चालकों द्वारा नौकरी छोड़ दिये जाने के कारण उत्पन्न हुई है. दस दिनों से टिपर चालक ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं. इससे डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन में लगे टिपर वर्क शॉप से नहीं निकल पा रहे हैं.
बता दें कि नगर निगम से टिपर चालकों के नाम पर एजेंसी को हर महीने प्रति ड्राइवर 12 हजार रुपये से भी अधिक की राशि मिलती है. लेकिन, टिपर चालकों को एजेंसी सात से आठ हजार रुपये का ही भुगतान करती है. पहले नगर निगम से ईंधन का कूपन कूड़ा उठाव के खेप पर मिलता था.
लेकिन, अब नगर आयुक्त नवीन कुमार ने किलोमीटर देख कर ही ईंधन देने का आदेश जारी किया है. इससे कूड़े के उठाव में खानापूर्ति करने वाले चालकों के सामने ईंधन की चोरी का रास्ता बंद हो गया है. ऐसे में चालकों ने सामूहिक रूप से नौकरी छोड़ने का ऐलान कर दिया. हालांकि, वर्कशॉप प्रभारी का कहना है कि नौकरी छोड़े चालक धीरे-धीरे काम पर लौट रहे हैं. 10-15 को छोड़ बाकी सभी चालक मंगलवार से ड्यूटी पर आयेंगे. जिस एजेंसी को चालक उपलब्ध कराने का आदेश मिला है. उसे भी वैकल्पिक व्यवस्था करने का आदेश दिया गया है.