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गुमनाम रह गये भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद डेविड तिग्गा,‍ उनकी तस्वीर भी नहीं

डेविड तिग्गा में बचपन से ही देशभक्ति का जुनून था. देश सेवा की खातिर वह सेना में बहाल हुए थे. उन्होंने बिहार रेजिमेंट से कार्य शुरू किया था, बाद में जब 14 गार्ड्स का गठन हुआ, तब लांसनायक अल्बर्ट एक्का के साथ डेविड सहित कई साथी वहां स्थानांतरित किये गये थे.

भारत-पाक युद्ध (1971) में परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का (गुमला) के साथ रांची के अनगड़ा के दुबलाबेड़ा निवासी सैनिक डेविड तिग्गा भी शहीद हुए थे. इन्हें भी अलबर्ट एक्का की कब्र के पास ही दफनाया गया था. शहीद स्मारक में इनका नाम भी अंकित है. डेविड तिग्गा में बचपन से ही देशभक्ति का जुनून था. देश सेवा की खातिर वह सेना में बहाल हुए थे. उन्होंने बिहार रेजिमेंट से कार्य शुरू किया था, बाद में जब 14 गार्ड्स का गठन हुआ, तब लांसनायक अल्बर्ट एक्का के साथ डेविड सहित कई साथी वहां स्थानांतरित किये गये थे.

1971 की लड़ाई में 14 गार्ड्स को पूर्वी सेक्टर में अगरतल्ला से 6.5 किमी पश्चिम में गंगासागर में पाकिस्तान की रक्षा पंक्ति पर कब्जा करने का आदेश मिला था. लांस नायक अल्बर्ट एक्का साथियों के साथ पूर्वी मोर्चे पर गंगासागर में दुश्मन की रक्षा पंक्ति पर हमले के दौरान बिग्रेड ऑफ द गार्ड्स बटालियन की अग्रवर्ती कंपनी में तैनात थे. इन्होंने पाकिस्तानी बंकर पर धावा बोल दिया था. इस दौरान कई पाकिस्तानी सैनिक को मारे गये. इस कार्रवाई में अल्बर्ट एक्का और डेविड तिग्गा घायल हो ये थे. इसके बावजूद इन्होंने उनके कई बंकरों को ध्वस्त कर दिया था.

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लक्ष्य के अनुसार उत्तरी किनारे पर दोनों पहुंचे, लेकिन पाकिस्तानी सैनिकों ने दो मंजिला भवन से छिप कर गोलियां दागीं. तीन दिसंबर 1971 को गोलीबारी में डेविड तिग्गा सहित कई सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे. उनका विवाह हेलेन तिग्गा से हुआ था. डेविड तिग्गा जब शहीद हुए थे, तब उनकी पुत्री सुभानी तिग्गा डेढ़ साल की थी. शहीद के परिजनों को तत्कालीन सरकार ने पटना में आवास भी आवंटित किया था. अलबर्ट एक्का और उनके सैनिकों का अदम्य साहस था कि एक भी पाकिस्तानी फौजी अगरतला में प्रवेश नहीं कर सके थे. गांव के लोगों को शहीद डेविड के बारे में ज्यादा जानकारी भी नहीं है. क्षेत्र में न तो उनकी प्रतिमा है और न ही कहीं स्मारक है.

रिपोर्ट : जितेंद्र कुमार,अनगड़ा

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