पटना का एक्यूआइ शुक्रवार को 347 रहा. इसमें गुरुवार की तुलना में एक प्वाइंट की कमी दर्ज की गयी. इसके बावजूद 300 की सीमा रेखा से यह अधिक रहा और हवा बेहद खराब बनी रही. समनपुरा शुक्रवार को भी तारामंडल, मुरादपुर और राजबंशीनगर की तुलना में अधिक प्रदूषित रहा. हालांकि, गुरुवार की तुलना में उसमें भी कमी दर्ज की गयी और 62 प्वाइंट नीचे आ गया. बेगूसराय देश का सर्वाधिक प्रदूषित शहर रहा, जहां प्रदूषण 400 के खतरनाक सीमा के पार दिखा और 406 दर्ज किया गया. बेतिया, पूर्णिया, ग्रेटर नोएडा और सीवान क्रमश: दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर बने रहे.
पटना की प्रदूषण की बड़ी वजह 15 वर्ष पुराने वाहनों का सड़क पर चलना भी है. इनमें नगर सेवा में चलने वाली 300 सिटी राइड बसें और स्कूल बसों के रुप में चलने वाले 200 मिनी बसें प्रमुख है. लगभग दो हजार स्कूल वैन और ऑटो भी ऐसे हैं जो 15 वर्ष से अधिक पुराने हो चुके हैं. इसके बावजूद सड़़कों पर दौड़ रहे हैं. एक बार पटना डीटीओ ने 15 साल पुरानी पीली सिटी राइड बसों के शहर में परिचालन पर रोक भी लगायी थी, लेकिन न्यायालय से पक्ष में निर्णय लेकर ये फिर से सड़कों पर आ गये.
बीते छह माह में प्रदेश के 22 जिलो में 25 मॉनिटरिंग स्टेशनों की स्थापना की गयी है. इन नये मॉनिटरिंग स्टेशनों की स्थापना से पहले तक यह माना जाता था कि पटना, मुजफ्फरपुर और गया जैसे बड़े शहर ही प्रदूषित हैं जहां अधिक आबादी होने की वजह से बड़ी संख्या में वाहन दौड़ते हैं. वहां पेट्रोल, डीजल जैसे जीवाश्म ईंधनों के जलने से निकलने वाले केमिकल के कारण हवा का एक्यूआइ बढ़ा है. लेकिन जब माॅनिटरिंग स्टेशनों की स्थापना के बाद बेतिया, पूर्णिया, छपरा और मोतिहारी जैसे शहरों में 400 के ऊपर एक्यूआइ दिखने लगा तो इसके वजह का गहन अनुसंधान शुरू किया गया.
मॉनिटरिंग स्टेशन-एक्यूआइ
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समनपुरा-376
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तारामंडल-333
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मुरादपुर-345
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राजबंशी नगर-343
शहर-एक्यूआइ
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बेगूसराय-406
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पूर्णिया- 386
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बेतिया-375
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ग्रेटर नोएडा- 375
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सीवान-454