Gujarat Election 2022 : गुजरात में पहले चरण के लिए मतदान हो चुका है. पहले चरण की 89 सीटों पर मतदान 63.14 फीसदी रहा जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर 66.75 फीसदी वोटिंग दर्ज की गयी थी. पिछली बार से मतदान कम हुआ है जिसने पार्टियों की धड़कन बढ़ा दी है. इस बीच आपको बता दें कि कांग्रेस ने गुजरात में पिछले दो विधानसभा चुनावों के दौरान राज्य के उत्तरी क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से बेहतर प्रदर्शन किया है. आपको बता दें कि यहां से कुल 32 सीटें आती हैं.
विपक्षी दल कांग्रेस 2022 में भी अपनी बढ़त बनाये रखने के उद्देश्य से मैदान पर डटी हुई है. यहां कुछ कारक इसके पक्ष में हैं. इस क्षेत्र में पांच दिसंबर को दूसरे चरण में लोग अपने मताधिकार का उपयोग कर सकेंगे. इस दिन 182 सदस्यीय विधानसभा की शेष 93 सीटों के लिए मतदान होगा.
गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान से पहले, इस क्षेत्र के बारे में राजनीतिक विश्लेषकों ने अपनी राय रखी है. विश्लेषकों की मानें तो डेयरी सहकारी नेता एवं पूर्व गृह मंत्री विपुल चौधरी की गिरफ्तारी के कारण भाजपा को कुछ क्षेत्रों में बगावत का सामना करना पड़ रहा है. प्रमुख अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), चौधरी समुदाय के बीच नाराजगी की बाते सामने आ रही है. साथ ही स्थानीय जाति समीकरण और उम्मीदवारों का चयन प्रक्रिया के अंतिम परिणाम में एक प्रमुख भूमिका निभाने की संभावना यहां है.
उत्तर गुजरात क्षेत्र के छह जिलों – बनासकांठा, पाटन, मेहसाणा, साबरकांठा, अरावली और गांधीनगर में फैली 32 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 2012 और 2017 दोनों चुनावों में 17 सीटों पर जीत का परचम लहराया था. वहीं दूसरी ओर, भाजपा ने क्रमशः 2012 और 2017 में 15 और 14 विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज की थी. पिछले चुनाव में, एक सीट (सुरक्षित वडगाम) निर्दलीय उम्मीदवार जिग्नेश मेवाणी के खाते में गयी थी, जिन्हें कांग्रेस ने अपना समर्थन दिया था.
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जहां विपक्षी दल कांग्रेस ने इस क्षेत्र में अपने अधिकांश मौजूदा विधायकों पर भरोसा जताया है और उनमें से 11 को फिर से टिकट दिया है. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)ने अपने 14 मौजूदा विधायकों में से केवल छह को टिकट दिया है और बाकी विधानसभा क्षेत्रों में नये उम्मीदवारों को चुनावी रण में उतारा है. दोनों पार्टियों ने स्थानीय जातीय समीकरणों को ध्यान में रखा है और पाटीदार के साथ-साथ कोली समुदायों के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. विशेषज्ञों का मानना है कि आम आदमी पार्टी (आप) के उत्तर गुजरात में बहुत अधिक प्रभाव डालने की संभावना नहीं है. इस क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है.
भाषा इनपुट के साथ