Dhanbad News: लड़कियों के कौशल विकास व उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के लिए वर्ष 2011-12 में धनबाद समेत राज्य के आठ जिलों में महिला आइटीआइ की स्थापना की गयी. इसके लिए करोड़ों की लागत से भवन बनाया गया. पर 10 वर्ष बाद भी यहां धनबाद में यह आइटीआइ शैक्षणिक संस्थान के रूप में बस नहीं सका. छात्राओं के इंतजार में यह भवन खंडहर में बदल चुका है. इस पर छात्रों का कब्जा हो चुका है और अधिकारी इसको लेकर अपना पल्ला झाड़ने में लगे हैं. क्या है वर्तमान हालात, इसकी पड़ताल की है हमारे संवाददाता मनोहर कुमार व उमेश तिवारी ने…
राजकीय पॉलिटेक्निक परिसर में निर्मित महिला आइटीआइ दूर से ही खंडहर के रूप में दिखने लगा है. वर्ष 2011-12 में करीब तीन करोड़ की लागत से निर्मित आइटीआइ भवन में पढ़ाई शुरू होना तो दूर, अबतक छात्राओं के दाखिला की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है इसको चलाने का नियम. दरअसल, इसे पीपीपी मोड (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) पर चलाने का निर्णय किया गया. इसके लिए एजेंसी का चयन करना था, पर पिछले दस वर्षों में किसी भी एजेंसी का चयन नहीं हो सका.
एजेंसी चयन में कमी के बीच यह कोशिश भी नहीं की जा सकी कि इसके भवन को सुरक्षित रखा जा सके. इस वजह से इसके सामानों की चोरी होने लगी. इसको लेकर पुख्ता व्यवस्था की जगह इस भवन में लड़कों को रखने की व्यवस्था कर दी गयी. आज स्थिति यह है कि लड़कियों के लिए बने इस महिला आइटीआइ के लगभग सभी कमरों में लड़कों की फौज है. ये लड़के कौन हैं और किस के आदेश पर रह रहे हैं, इसको लेकर भी विभाग में ईमानदारी का नितांत अभाव है. पहले तो कोई यह मानने को तैयार नहीं हुआ कि यहां लड़के रह रहे हैं, पर जब पुख्ता सबूत दिया गया तो सबने एक दूसरे पर इसकी जवाबदेही फेंकनी शुरू कर दी.
विश्व बैंक की राशि से बना भवन अब गिरने लगा है, तो इसके मरम्मत के लिए भी अलग-अलग कहानी हो रही. किसी ने इसकी मरम्मत सरकारी आइटीआइ प्रबंधन के माध्यम से डीएमएफटी फंड से कराने की बात कही, तो कोई इससे भी इनकार कर रहा.
Also Read: यात्रीगण कृपया ध्यान दें! आज से धनबाद-टाटा स्वर्णरेखा एक्सप्रेस ट्रेन का इस जगह पर होगा ठहराव
महिला आइटीआइ के संचालन के लिए सबसे पहले शैक्षणिक एजेंसी टेक्नो इंडिया को मौका दिया गया. जानकारी के मुताबिक उक्त एजेंसी संचालन के लिए आवश्यक उपकरण भी यहां लायी, पर कुछ कारणों से पढ़ाई शुरू नहीं हुई और वर्ष 2019 में एजेंसी के लोग अपना सब सामान लेकर चले गये. भवन को फिर से विभाग को वापस कर दिया. फिर एक अन्य एजेंसी ट्राइ को संचालन की जिम्मेदारी मिली, परंतु उक्त एजेंसी भी संस्थान का संचालन नहीं कर सकी. जानकारी के मुताबिक अब नयी एजेंसी की तलाश शुरू हो गयी है. इसके लिए विभाग की ओर से टेंडर भी निकाला गया है, जिसकी अंतिम तिथि 21 दिसंबर है.
-
विश्व बैंक की राशि से निर्मित है आइटीआइ भवन
-
पीपीपी मोड से महिला आइटीआइ के संचालन को तीसरी एजेंसी की तलाश शुरू
-
छात्रावास के चारों ओर झाड़-झंखाड़, हर पल रहता है जहरीले जंतुओं का खतरा
धनबाद के अलावा साहेबगंज, देवघर, जामताड़ा, डालटनगंज, सरायकेला, खरसावां व गढ़वा में महिला आइटीआइ शुरू करने की योजना थी. जानकारी के मुताबिक वर्ष 2013-14 से ही इसे शुरू होना था.
क्यों नहीं चल पा रहा है महिला आइटीआइ
निविदा निकाली जा चुकी है, 21 दिसंबर अंतिम तिथि है. जल्द संचालन शुरू होगा.
पढ़ाई शुरू नहीं हुई और भवन जर्जर हो गया ?
इसकी मरम्मत डीएमएफटी फंड से करायेंगे. सरकारी आइटीआई के प्राचार्य को कहा गया है.
महिलाओं के इस कैंपस पर लड़कों का कब्जा कैसे?
आइटीआइ के प्राचार्य ने रखा होगा, खाली कराया जायेगा.