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बिहार में लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस का ऑनलाइन टेस्ट देने से पहले करना होगा ये काम, नया नियम लागू

Learning License: आवेदक लर्निंग का चालान कट आने के बाद ऑनलाइन टेस्ट देने के लिए शॉर्ट बुक करने से पहले इसे देख सकते हैं. बिना इसे देखे आवेदक ऑनलाइन टेस्ट नहीं दे पायेंगे. स्लॉट बुकिंग के दौरान इसका कोड आवेदक के मोबाइल पर जाता है, जिसमें उन्हें यह पूरा वीडियो देखना है.

राजकुमार रंजन

दरभंगा. अब बिना रोड सेफ्टी का वीडियो देखे लर्निंग लाइसेंस नहीं बनेगा. यह नया नियम शनिवार से लागू कर दिया गया है. अब वाहन मालिकों के लिए लर्निंग लाइसेंस का ऑनलाइन टेस्ट देने से पहले सात मिनट का वीडियो देखना अनिवार्य कर दिया गया है. इसमें गाड़ी चलाते समय चालक के लिए जिन बातों का ध्यान रखना है, उसकी जानकारी दी गई है. वीडियो में हेलमेट पहनने, ओवर स्पीड नहीं चलने, ओवरटेक नहीं करने, गाड़ी चलाते समय फोन पर बात नहीं करने, अपने लेन में चलने, इमरजेंसी वाहन को रास्ता देने, रेड लाइट जंप नहीं करने, सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद करने आदि के बारे में बताया जाता है.

सड़क सुरक्षा के प्रति जागरुकता के लिए परिवहन विभाग ने उठाया कदम

आवेदक लर्निंग का चालान कट आने के बाद ऑनलाइन टेस्ट देने के लिए शॉर्ट बुक करने से पहले इसे देख सकते हैं. बिना इसे देखे आवेदक ऑनलाइन टेस्ट नहीं दे पायेंगे. स्लॉट बुकिंग के दौरान इसका कोड आवेदक के मोबाइल पर जाता है, जिसमें उन्हें यह पूरा वीडियो देखना है. बीच में अगर आप वीडियो स्टॉप करते हैं, तो सिस्टम में यह दर्ज हो जाता है. अगर बिना वीडियो देखे बुकिंग के लिए ऑफिस जाते हैं, तो वहां सिस्टम में स्लॉट डालते ही पता चल जाएगा कि वीडियो नहीं देखा गया है. एमबीआइ निशांत कुमार ने बताया कि विभाग की ओर से इस नए नियम को लागू किया गया है. इसके पीछे विभाग का मकसद है कि लोग सुरक्षित होकर गाड़ी चलाएं. ऑडियो-वीडियो के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा सकता है.

7 माह में सिर्फ 550 महिलाओं को मिला लाइसेंस

परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में महिलाएं काफी पीछे हैं. इस वित्तीय वर्ष में एक अप्रैल से अक्तूबर तक 16 हजार 723 लाइसेंस जारी किये गये. इसमें मात्र 550 लाइसेंस ही महिलाओं एवं पांच उभयलिंगी के बने हैं, जबकि सड़कों पर स्कूटी चलाने में 80 प्रतिशत युवती व महिलाएं नजर आती हैं, लेकिन अभी भी अधिकांश के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है. इसका प्रमुख कारण डीएल को लेकर महिलाओं में जागरूकता व इसकी जांच के प्रति विभाग की उदासीनता है. जिले में हर महीना छह सौ से एक हजार के बीच लाइसेंस बनता है. इनमें से बमुश्किल 10 प्रतिशत लाइसेंस ही महिलाओं के होते हैं.

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