पटना. माता-पिता को संसार में सबसे महत्वपूर्ण मानकर उनकी अनन्य शारीरिक सेवा करने वाले आठ लोगों को महावीर मंदिर की ओर से शनिवार को श्रवण कुमार पुरस्कार दिया गया. आज महावीर मंदिर प्रांगण में आचार्य किशोर कुणाल की उपस्थिति में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री और जूना अखाड़ा के अन्तरराष्ट्रीय संरक्षक महंथ हरि गिरि जी महाराज ने जब जहानाबाद जिले के चंदन कुमार केसरी और उनकी पत्नी रानी देवी को प्रथम पुरस्कार दिया गया.
रामायण काल के श्रवण कुमार की तरह इन्होंने बहंगी में अपने वृद्ध माता-पिता को बैठाकर और उन्हें अपने कंधे पर रख सौ किलोमीटर पैदल चलकर तीर्थ यात्रा करायी. अपने 72 वर्षीय पिता जगन्नाथ केसरी और 67 साल की माता मीना देवी की सावन में बाबा वैद्यनाथ के दर्शन की इच्छा की पूर्ति के लिए चंदन और उसकी पत्नी कांवर की बनी बहंगी में दोनों को बैठाकर सुलतानगंज से देवघर तक ले गये और भगवान वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का दर्शन कराया. इस दंपत्ति को एक लाख रुपये की राशि एवं प्रशस्ति पत्र से पुरस्कृत किया गया.
द्वितीय पुरस्कार रोहतास जिले के विक्रमगंज निवासी अरूण कुमार सिंह को दिया गया, जो अपने 90 वर्षीय वृद्ध पिताजी मुंशी सिंह की सेवा निःस्वार्थ भाव से करते आ रहे हैं. इन्हें 50 हजार रुपये की राशि एवं प्रशस्ति- पत्र से दिया गया, जबकि तृतीय पुरस्कार दो लोगों को दिया गया. इनमें एक पालीगंज के राज नंदन सिंह और दूसरे ननौरा दरभंगा के अशोक साहू हैं. दोनों व्यक्तियों को अलग-अलग 25 हजार रुपये की राशि एवं प्रशस्ति पत्र से पुरस्कृत किया गया.
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इसके अलावा प्रोत्साहन पुरस्कार चार व्यक्तियों को मिला. इनमें दो बहुएं हैं जिन्होंने अपनी सासू मां की निःस्वार्थ सेवा की. ये हैं रंभा देवी, विक्रम जो अपने सासू माँ की विगत 6 वर्ष से निःस्वार्थ भाव से सेवा कर रही हैं. मंजूषा देवी, विक्रम जो अपने लगवाग्रस्त सासू मां की निःस्वार्थ भाव से सेवा कर रही हैं. इनके अलावा माता-पिता की अनन्य सेवा करनेवाले दो लोगों को प्रोत्साहन पुरस्कार दिया गया. ये हैं संजय कुमार, नवादा और राजगीर प्रसाद दुल्हिन बाजार माता-पिता की सेवा निःस्वार्थ भाव से की थी. चारों व्यक्तियों को 10 हजार -10 हजार रुपये की राशि एवं प्रशस्ति पत्र से पुरस्कृत गया.