Delhi Air Pollution: भारत की राजधानी दिल्ली में कितना प्रदूषण है, देश से लेकर दुनियाभर में चर्चा का मुद्दा बना हुआ है. डब्लूएचओ से लेकर यूएन एनवायरमेंट प्रोटेक्शन एजेंसी तक समय-समय पर इसे लेकर चिंता जता चुकी है. हालात ऐसे हो गए हैं कि खूबसूरत दिल्ली शहर को एयर क्वालिटी रैंकिंग के मामले में दुनिया भर के सबसे प्रदूषित शहरों में गिना जाने लगा है. इस स्थिति से कैसे निबटा जाए, इस दिशा में नयी-नयी तरकीबें लगायी जा रही हैं. इन्हीं में से एक है ब्रिटेन की राजधानी लंदन के लिए अपनाया गया मॉडल.
लंदन की हवा दिल्ली की मौजूदा हवा की तुलना में सांस लेने के लिए कहीं अधिक सुरक्षित हो सकती है, लेकिन ब्रिटेन की राजधानी अब भी यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि भारी प्रदूषण फैलाने वाले वाहन उसके महानगरीय क्षेत्रों से दूर रहें. इस तरह, यहां के अधिकारियों ने लंदन के अल्ट्रा-लो एमिशन जोन (ULEZ) का विस्तार करने का फैसला किया है. इसका मतलब यह है कि महानगरीय क्षेत्रों में प्रवेश करनेवाले सभी पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को जल्द ही आगे बढ़ने के लिए एक बड़ी राशि का भुगतान करना होगा.
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लंदन के मेयर सादिक खान के हवाले से अंग्रेजी अखबार ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने लिखा कि अगले साल अगस्त से सभी पुराने और अत्यधिक प्रदूषण फैलानेवाले वाहनों को शहर के महानगरीय क्षेत्र तक पहुंचने के लिए प्रवेश शुल्क देना होगा. उन्होंने आगे कहा कि ऐसे वाहनों से होने वाला प्रदूषण लंदन में लोगों को ‘पालने से लेकर कब्र तक बीमार’ बना रहा है. यह रिपोर्ट फाइल करने के समय, लंदन AQI 40 था, जबकि दिल्ली में यह 300 से अधिक था. दिल्ली की हवा प्रदूषित करने में वाहनों का प्रदूषण कई वजहों में से एक है, लेकिन क्या भारत की राजधानी शहर लंदन से प्रेरणा ले सकता है?
सादिक खान का दावा है कि यूएलईजेड एक परिवर्तनकारी कदम रहा है. यूएलईजेड लंदन के केंद्रीय क्षेत्रों से पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के प्रवेश को प्रतिबंधित करता है, लेकिन जल्द ही ग्रेटर लंदन क्षेत्र को भी कवर करेगा, जो 90 लाख लोगों का घर है. इस सिस्टम के काम करने के तरीके के बारे में बात करें, तो अगर कोई उक्त वाहन यूएलईजेड उत्सर्जन मानकों को पूरा नहीं करता है, तो यूएलईजेड जोन में प्रवेश करने के लिए, प्रतिदिन 12.50 पाउंड (लगभग 1,200 रुपये) का शुल्क देना होगा. यह यूएलईजेड के निवासियों के लिए भी लागू है, लेकिन उन वाहनों के लिए जो यूएलईजेड उत्सर्जन मानकों को पूरा नहीं करते हैं. निश्चित तौर पर यह मेकैनिज्म दिल्ली सहित उन सभी शहरों में प्रदूषण के स्तर को कम करने में कारगर साबित हो सकता है, जहां पुराने और भारी वाहनों के धुएं का प्रदूषण बढ़ाने में योगदान ज्यादा होता है.
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