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देवघर के RK मिशन में पूर्ववर्ती छात्रों के सम्मेलन का दूसरा दिन आज, स्वामी सुहितानंद ने कही यह बात

देवघर के आरके मिशन विद्यापीठ के पूर्ववर्ती छात्रों का सम्मेलन 25 नवंबर से ही शुरुआत हो चुकी है. आज सम्मेलन का दूसरा दिन है. स्वामी सुहितानंद जी महाराज ने कहा कि आरके मिशन विद्यापीठ एक संस्थान नहीं, बल्कि प्रेरणा का मंदिर है. यहां बच्चों को जीवन के व्यावहारिक ज्ञान की रोजाना जानकारी दी जाती है.

Deoghar News: आरके मिशन विद्यापीठ देवघर के शताब्दी वर्ष समारोह के दूसरे चरण में शुक्रवार से तीन दिवसीय पूर्ववर्ती छात्रों का सम्मेलन शुरू हुआ. इसके उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता रामकृष्ण मठ व रामकृष्ण मिशन बेलूर मठ के उपाध्यक्ष स्वामी सुहितानंद जी महाराज ने की. उन्होंने कहा कि आरके मिशन विद्यापीठ एक संस्थान नहीं, बल्कि प्रेरणा का मंदिर है. यहां बच्चों को जीवन के व्यावहारिक ज्ञान की रोजाना जानकारी दी जाती है. बिना किसी वित्तीय संस्थान व बिना किसी प्रमोशन के यह संस्थान व्यावहारिक, सामाजिक, शैक्षिक व बौद्धिक ज्ञान दे रहा है. यहां के छात्र न केवल भारत में ही बल्कि विदेशों में भी अपनी ज्ञान की ज्योति जला रहे हैं.

उन्होंने कहा कि आचार्य रामकृष्ण देव की प्रेरणा से ही आरके मिशन परिवार गरीब, वंचित, जरुरतमंद व जनजातीय लोगों के बीच सेवा कार्य भी चलाती है. स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा की दशा व दिशा तय की है. यह संस्थान आचार्य रामकृष्ण देव सहित मां शारदा व स्वामी विवेकानंद की सोच को सार्थक करने में जुटा है. साथ ही संस्थान शिक्षकों, सन्यासियों व कर्मियों की तपस्या, संघर्ष व त्याग के कारण ही उन्नति के मार्ग पर अग्रसर है. स्वामी जी ने कहा कि एक शैक्षणिक संस्थान छात्रों की गुणवत्ता के लिए जाना जाता है, जो बाद में अच्छे नागरिक बनते हैं. पिछले 100 वर्षों में यह संस्थान उपलब्धियों पर गर्व कर सकता है. रामकृष्ण मिशन देश के युवाओं को मानव निर्माण व चरित्र निर्माण की शिक्षा प्रदान करता है.

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विद्यापीठ ने देखे कई उतार-चढ़ाव : स्वामी त्यागरूपानंद

विशिष्ट अतिथि पश्चिम बंगाल के मालदह आरके मिशन आश्रम के सचिव स्वामी त्यागरुपानंद जी महाराज ने कहा कि रामकृष्ण मिशन विद्यापीठ ने कई उतार-चढ़ाव देखे. इस विद्यापीठ की सर्वप्रथम आधारभूत परिकल्पना स्वामी तुरियानंद महाराज ने की जो ठाकुर परमहंस के शिष्य थे. वहीं रामकृष्ण मिशन संघ के उस समय के अध्यक्ष स्वामी शिवानंद महाराज द्वारा 19 जनवरी 1926 को विद्यापीठ का उद्घाटन किया गया. वहीं महासचिव रहे स्वामी शारदानंद जी महाराज ने प्रारंभिक दिनों में विद्यापीठ को स्थापित करने में पूर्ण सहयोग प्रदान किया. वहीं स्वामी सद्भावानंद जी महाराज के बनाये सिद्धांत, आदर्श, नियम पर आरके मिशन विद्यापीठ चल रहा है.

बुनियाद ही तय करता है बच्चों का भविष्य : स्वामी सर्वप्रियानंद

रामकृष्ण मिशन न्यूयार्क सेंटर के प्रमुख स्वामी सर्वप्रियानंद जी महाराज ने कहा कि सिर्फ किताबों की जानकारी शिक्षा नहीं है, बच्चे भविष्य में क्या बनेंगे यह उसकी बुनियादी शिक्षा तय करता है. आरके मिशन होलेस्टिक डेवलपमेंट की तरह बच्चों पर फोकस करता है. मिशन की शिक्षा में काॅम्बिनेशन ऑफ वर्चुअल, स्पिरिचुअल व डिजिटल का समावेश है. यहां के बच्चे चाहें तो हर मुकाम को हासिल कर सकते हैं. विद्यापीठ के शिक्षक, सन्यांसी, महाराज मिलकर गुरुकुल परंपरा में विद्यार्थियों को तैयार कर रहे हैं. यहां वेद-वेदांत की भी जानकारी दी जाती है. इसके अलावा आरके मिशन सेवाश्रम वृंदावन के सचिव स्वामी सुप्रकाशानंद जी महाराज सहित रामकृष्ण मिशन आश्रम छपरा के सचिव अतिदेवानंद जी महाराज व बेलूर मठ प्रोवेशन ट्रेनिंग कॉलेज के प्राचार्य स्वामी तत्वसरानंद जी महाराज ने भी समारोह को संबोधित किया.

बच्चों के लिए दूसरे घर की तरह है आरके मिशन : स्वामी जयंतानंद

अतिथियों का स्वागत आरके मिशन देवघर के सचिव स्वामी जयंतानंद जी महाराज ने किया. उन्होंने कहा कि यह संस्थान बच्चों के लिए दूसरे घर की तरह है. 10 वर्षों तक वे घर से सीखकर आते हैं. इसके बाद संस्थान में ही सन्यासी, शिक्षक व ब्रह्मचारी उनके माता-पिता की भांति शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास कराने के साथ शिक्षित भी करते हैं. यहां के छात्र देश के अग्रणी संस्थान एम्स सहित अन्य जगहाें पर ही नहीं बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, इंग्लैंड समेत विभिन्न देशों में भी अपनी ख्याति फैला रखे हैं. इससे पहले सुबह में पूजा, पुष्पांजलि समेत अन्य कार्यक्रम आयोजित किये गये.

पूर्ववर्ती छात्रों ने बांटे अनुभव

पूर्ववर्ती छात्रसंघ अध्यक्ष 86 बैच के छात्र रहे मनीष प्रियदर्शी ने छात्र जीवन के अपने अनुभवों को शेयर किया. 1950 बैच के चार वरिष्ठ पूर्ववर्ती छात्रों का अभिनंदन 84 बैच के पूर्ववर्ती छात्र अभिजीत साधु ने किया. पूर्ववर्ती छात्र संघ-1 सचिव प्रशांत टिबड़ेवाल ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि छात्रों के लिए विद्यापीठ मां समान है. जहां भी हैं विद्यापीठ के प्रति उनलोगों का लगाव व श्रद्धा जुड़ी हुई है. कार्यक्रम के प्रारंभ में वैदिक मंगलाचरण ब्रह्मचारी अतुल्य चैतन्य, प्रभु चैतन्य व साधन ने किया. इसके बाद अतिथियों को सचिव स्वामी जयंतानंद जी महाराज ने पुष्पगुच्छ, मोमेंटो व अंगवस्त्र देकर सम्मान किया. संध्याकालीन सत्र में सबों का स्वागत पूर्ववर्ती छात्रसंघ-1 सचिव प्रशांत टिबड़ेवाल ने किया. इसके बाद संघ की पत्रिका का लोकार्पण पूर्ववर्ती छात्र संघ-11 के सत्यम कुमार व पूर्ववर्ती छात्र संघ-9 के बिकास कुमार लाठ द्वारा किया गया. 50 वर्ष पूरे करने वाले 1969 से 1972 बैच के पूर्ववर्ती छात्रों का अभिनंदन 88 बैच के पूर्ववर्ती छात्र मनोज झा व 97 बैच के पूर्ववर्ती छात्र राकेश कुमार झा ने संयुक्त रूप से किया. वहीं रात में वर्तमान सत्र के छात्रों व पूर्ववर्ती छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया.

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