Jharkhand Assembly|Student Parliament|झारखंड विधानसभा स्थापना दिवस के आखिरी दिन गुरुवार (24 नवंबर 2022) को द्वितीय छात्र संसद में प्रदेश के छात्र-छात्राओं ने संसदीय प्रक्रिया की जानकारी ली. छद्म विधानसभा (Shadow Assembly) में संसदीय प्रक्रिया का पालन करते हुए विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लिया. छात्रों में से ही मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और स्पीकर का चुनाव किया गया. सदस्यों ने सवाल पूछे और संबंधित विभाग के मंत्रियों ने उसके जवाब दिये.
इस आयोजन को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और झारखंड विधानसभा के पूर्व स्पीकर सीपी सिंह (CP Singh) ने अच्छा प्रयास बताया. उन्होंने कहा कि यह छद्म विधानसभा है. छद्म विधानसभा और असल विधानसभा में अंतर होता है. आज शांतिपूर्ण माहौल में सत्ता पक्ष और विपक्ष ने सदन चलाया. वास्तव में ऐसा नहीं होता है.
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श्री सिंह ने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे से सवाल पूछते हैं. कई बार ऐसा माहौल बन जाता है कि सत्ता पक्ष के गलत निर्णयों का भी उस पक्ष के लोग समर्थन करते हैं. वहीं, विपक्षी दल भी सत्ता पक्ष के बेहतर फैसले की भी आलोचना करते हैं. सदन में लोग ह्विप से बंधे होते हैं. उन्होंने कहा कि जब नये सदस्य चुनकर विधानसभा आते हैं, तो विधनसभा का सत्र आहूत करने से पहले चार-पांच दिन का ट्रेनिंग कैंप लगना चाहिए. तब उसका कुछ सार्थक परिणाम सामने आयेगा.
विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने कहा कि हमलोग जो करते हैं, उसे सही ढंग से परोसेंगे, तो उसका परिणाम सही ही होगा. अगर हम परोसेंगे आम और आप परोसेंगे इमली, तो टेस्ट में बदलाव आ जायेगा. ये अच्छा है या बुरा है, इसे बेहतर तरीके से आप लोगों तक पहुंचायेंगे. उन्होंने कहा कि बच्चों को संसदीय प्रक्रिया का ज्ञान हो रहा है. कैसे प्रश्न किया जाता है. कैसे ध्यानाकर्षण होता है. कैसे कार्यस्थगन होता है. तमाम विधायी प्रक्रिया का तकनीकी ज्ञान इन्हें मिला है.
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यह पूछे जाने पर कि सदन काफी शांतिपूर्ण है, श्री महतो ने पूछा कि आप क्या चाहते हैं. इन्हें भी अशांत कर दें. सदन शांतिपूर्वक ही चलनी चाहिए. सदन के अंदर बैठे सभी जनप्रतिनिधियों का एक ही लक्ष्य होता है. सभी एक ही डोर से बंधे होते हैं कि जनसमस्याओं को उचित प्लेटफॉर्म पर रखें और उसका समाधान हो. झारखंड विधानसभा की स्थापना के 3 दिवसीय समारोह के समापन के बारे में पूछने पर रवींद्रनाथ महतो ने कहा कि वह इससे बेहद संतुष्ट हैं. हमलोग बेहतर करते हैं, लेकिन उसे इस तरह से परोसा जाता है कि अगले दिन हमें खराब लगता है.
रिपोर्ट- आदित्य कुमार/राहुल गुरु